“इस आतंकी हमले में किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने अपना भाई खोया, किसी ने अपना जीवनसाथी खोया है। उनमें से कोई बांग्ला बोलता था, कोई कन्नड़ बोलता था, कोई मराठी था, उड़िया था, कोई गुजराती था, कोई बिहार का लाल था। आज उन सभी की मृत्यु पर कारगिल से कन्याकुमारी तक हमारा दुख एक जैसा है। हमारा आक्रोश एक जैसा है।”