
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। एनडीए (NDA) के भीतर सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के कुछ घंटे बाद ही, पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बड़ा और तीखा बयान देकर पूरे सियासी गलियारे में हलचल मचा दी।
उन्होंने कहा, “संजय झा ने आज अपना मिशन पूरा कर लिया है। नीतीश कुमार जी को सीएम की गद्दी छोड़ने हेतु मजबूर करने का षड्यंत्र पूरा हो गया। BJP ने 101 सीट और अपनी H टीम यानी मोदी के हनुमान को 29 सीट दी। बाकी पिछलग्गू दो टीमों को 12 सीटें दी गईं। मतलब साफ टीम बीजेपी 142 सीट पर लड़ेगी और जदयू सिर्फ 101 पर! नीतीश जी को फिनिश करने का अभियान पूरा।”
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए एनडीए में सीट बंटवारे का फार्मूला कुछ इस प्रकार तय हुआ है।
देखने में यह बंटवारा पूरी तरह “बराबरी” का लगता है, लेकिन पप्पू यादव का दावा है कि यह बराबरी के नाम पर धोखा है। उनके मुताबिक, भाजपा ने न सिर्फ सीटों की रणनीति से, बल्कि अपने सहयोगियों की भूमिका तय कर नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से ‘साइडलाइन’ करने की नींव रख दी है।
पप्पू यादव के मुताबिक, भाजपा ने अपने इर्द-गिर्द ऐसा गठबंधन तैयार किया है जिसमें सभी छोटे सहयोगी ‘बी-टीम’ या ‘H टीम’ के रूप में काम करेंगे। उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी को ‘मोदी का हनुमान’ बताते हुए कहा, “लोजपा (रामविलास) को 29 सीट देकर बीजेपी ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि जदयू को अब ‘बड़ा भाई’ नहीं, बल्कि ‘सीमित सहयोगी’ बना दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि एनडीए में नीतीश कुमार को कमजोर करने की योजना पहले से तैयार थी और अब इस सीट बंटवारे ने उस योजना को औपचारिक रूप दे दिया है।
जहाँ पप्पू यादव ने इसे साजिश कहा, वहीं जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने ट्वीट कर इसे “सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुआ ऐतिहासिक समझौता” बताया। उन्होंने लिखा, “हम NDA के साथियों ने मिलकर सीटों का वितरण सौहार्दपूर्ण तरीके से पूरा किया है। सभी साथी एकजुट हैं और नीतीश कुमार जी को प्रचंड बहुमत से फिर मुख्यमंत्री बनाने के लिए संकल्पित हैं।” भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने भी यही बात दोहराई, उन्होंने कहा, “NDA संगठित और समर्पित है। बिहार में फिर से एनडीए सरकार बनने जा रही है।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2025 का सीट बंटवारा एक प्रतीकात्मक मोड़ है। 2005 और 2010 में जहाँ जदयू गठबंधन की अगुवाई कर रही थी, अब भाजपा बराबरी की स्थिति में आकर गठबंधन की दिशा नियंत्रित कर रही है। नीतीश कुमार, जो कभी एनडीए के “मुख्य चेहरा” हुआ करते थे, अब भाजपा के बराबर सीट लेकर “साझेदार” भर रह गए हैं। यह वही बदलाव है जिसकी ओर कई महीनों से संकेत मिल रहे थे, जब भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने स्पष्ट किया था कि बिहार चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा जाएगा।
विपक्षी दलों ने इस बंटवारे को भाजपा की चाल बताया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा, “NDA का सीट शेयरिंग हो गया है, लेकिन असली बात यह है कि नीतीश कुमार अब नाम के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा बिहार की सत्ता का असली नियंत्रण अपने हाथ में ले चुकी है।”
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