
Bihar bridge collapse: बिहार में इन दिनों पुल गिरने का सिलसिला नहीं थम रहा है। बीते 15 दिन में 9 पुल गिरने की घटना हो चुकी है। इसके बाद अब जाकर राज्य सरकार की नींद टूटी है। इस मामले में बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी द्वारा पुलों के ढहने के कारणों की जांच के लिए चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की है। बता दें कि बुधवार (3 जुलाई) को सीवान जिले में दो पुल ढह गए हैं। ये पुल महाराजगंज ब्लॉक में गंडकी 'छड़ी' (नदी) पर मौजूद थे। एक का निर्माण 1982-83 में हुआ था, जबकि दूसरे का निर्माण 1998 में हुआ था। 15 दिनों में 3 पुल, 2 सीवान में और 1 सारण जिले में ढह चुके हैं। जिससे पिछले 15 दिनों में बिहार में गिरने वाले पुलों की कुल संख्या नौ हो गई है।
बिहार में पुल गिरने के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने पुलों के रखरखाव के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया। बैठक में नीतीश ने अधिकारियों से कहा, "सभी पुराने पुलों के बारे में जानकारी प्राप्त करें, दुर्घटना के जगह पर जा कर जांच करें और उनके सही तरह से रखरखाव के लिए कदम उठाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्माणाधीन पुलों में क्वलिटी बरकरार रखी जाए और उन्हें समय पर पूरा किया जाए। इसके अलावा ग्रामीण कार्य विभाग पुलों के रखरखाव के लिए पथ निर्माण विभाग की तरह मेंटेनेंस पॉलिसी बनाने का फैसला लिया है।
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बिहार में पुल गिरने का मामला
ये घटना सिर्फ 11 दिन पहले सीवान में एक और पुल ढहने के बाद हुई है, जो बिहार में बुनियादी ढांचे की स्थिति पर बढ़ती चिंताओं को रेखांकित करती है। 22 जून को दरौंदा इलाके में पुल का एक हिस्सा ढह गया था। हाल ही में मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जैसे जिलों में इसी तरह की घटनाएं सामने आईं, जिसके बाद बिहार सरकार को इन घटनाओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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