पटना हाईकोर्ट ने जबरिया जोड़ी यानि पकडुआ विवाह को लेकर अहम फैसला सुनाया है। जिसके मुताबिक अब कोर्ट इस तरह के विवाह को मानता नहीं देता है। जज ने कहा-जबरदस्ती सिंदूर लगाना या दबाव में लगवाना हिंदू काननू के तहत विवाह नहीं है।
पटना. बिहार में पकड़ुआ विवाह यानि जबरिया जोड़ी काफी प्रचलित है। जहां लड़के को पकड़कर जबरन शादी कर दी जाती है। लेकिन अब इस मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि जबरदस्ती सिंदूर लगाना या दबाव में लगवाना हिंदू काननू के तहत विवाह नहीं है। जब तक लड़का-लड़की की इच्छा ना हो और दूल्हा-दुल्हन अग्नि के सात फेरे नहीं लेते वह वो विवाह नहीं माना जाएगा।
बंदूक के जोर पर कराया विवाह किया रद्द
दरअसल, पकड़ुआ विवाह को लेकर यह फैसला पटना हाईकोर्ट के जज मोदी आज मथुरा में है। नजर रखिए वहां बैंच ने गुरुवार को सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने एक जबरन विवाह को भी रद्द कर दिया। मामले में अपीलकर्ता, रविकांत , जो उस समय सेना में सिग्नलमैन था, का 10 साल से अधिक समय पहले बिहार के लखीसराय जिले में अपहरण कर लिया गया था, और प्रतिवादी दुल्हन के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था। ये सबकुछ बंदूक के जोर पर कराया गया था।
10 साल पहले मंदिर गए एक युवक का किया था अपहरण
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने यह फैसला 10 साल पहले हुए एक जबरन विवाह को लेकर सुनाया है। 30 जून 2013 को एक युवक का अपहरण कर लिया गया था। युवक का नाम रविकांत है जो लखीसराय के एक मंदिर में प्रार्थना करने गया था तो उसे पकड़ा और अपने घर ले गए। उसे अपनी बेटी के साथ जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया। इसके बाद पीड़ित के चाचा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकि उसकी सुनवाई नहीं की। इसके बाद पीड़ित ने लखीसराय में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में केस फायल किया। जिस पर आज कोर्ट ने फैसला दिया है।