
पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा है कि शराब के कारोबार से राज्य को हर साल 5 हजार करोड़ रुपये की आमदनी हो रही थी, पर लोगों के 10 हजार करोड़ रुपये शराब पर खर्च हो रहे थे। शराबबंदी के बाद लोग पैसों का इस्तेमाल अपनी जरुरत के लिए करने लगे। आम लोगों के खान—पान, शिक्षा आदि में सुधार हुआ है।
क्यों लिया शराबबंदी का निर्णय?
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वह 09 जुलाई, 2015 को महिलाओं के एक प्रोग्राम में गए थे। उसमें महिलाओं ने शराब बंद कराने की मांग की। तब मैंने कहा था कि यदि चुनाव के बाद सरकार बनी तो शराबबंदी लागू करेंगे। सरकार बनी, फिर 05 अप्रैल, 2016 से बिहार में पूरी तरह शराबबंदी लागू कर दी गई। उनका यह भी कहना था कि वह पढाई के दौरान भी शराब के सेवन के खिलाफ रहे हैं।
18 फीसदी आत्महत्या शराब पीने के कारण
सीएम ने कहा कि हलिया सर्वे में पता चला है कि 1.82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2018 में सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उसके मुताबिक, पूरे एक वर्ष में 30 लाख लोगों में से 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से हुई। इसके अलावा 18 फीसदी आत्महत्या शराब पीने के कारण होती है, 27 फीसदी सड़क हादसे होते हैं, 200 तरह की गंभीर बीमारियां होती हैं।
छत्तीसगढ के प्रतिनिधिमंडल से की मुलाकात
सीएम नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी के अध्ययन के संबंध में आए छतीसगढ़ विधानमंडल दल के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान अपने अनुभवा साझा किए। आपको बता दें कि शराबबंदी कानून और उसके कार्यान्वयन की स्टडी करने के लिए छत्तीसगढ की सात सदस्यी टीम बिहार आई है। टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार ने इस संबंध में समिति के सदस्यों को विस्तार से जानकारी दी।
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