बिहार में मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के महीने में निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय आने और निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी गई है। जारी आदेश में कहा गया है कि यह आदेश स्थायी रूप से हर वर्ष के लिए प्रभावी रहेगा।
पटना। नीतीश सरकार ने मुस्लिम अधिकारियों-कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। रमजान के महीने में आफिस के काम में राहत के लिए बड़ा ऐलान किया गया है। सरकार के प्रधान सचिव बी राजेन्दर ने सभी विभागों को पत्र जारी कर रमजान के महीने में मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों के आफिस टाइम में ढील की मंजूरी दी है।
सरकार की तरफ से जारी पत्र में ये कहा गया
जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि सरकार द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों व पदाधिकारियों की सुविधा के मद्देनजर रमजान की अवधि के लिए निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय आने और निर्धारित समय से एक घंटा पूर्व कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी जाती है। यह आदेश स्थायी रूप से हर वर्ष के लिए प्रभावी रहेगा।
संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मियों को भी मिलेगा लाभ
सरकार के इस आदेश का लाभ स्थाई और संविदा स्टाफ के साथ आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मियों को भी मिलेगा। सरकार का यह भी दावा है कि इस आदेश का सरकारी काम-काज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
घोषणा की टाइमिंग, जब आवैसी की सीमांचल अधिकार पदयात्रा
नीतीश सरकार ने यह घोषणा उस समय की है, जब एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी दो दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। सीमांचल अधिकार पदयात्रा के जरिए वह अपना जनाधार मजबूत करने की कवायद में लगे हैं।
सियासी चश्में से देखिए तो ये कहा जा रहा
लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है और राज्य विधानसभा चुनाव 2025 में होने हैं। उसके पहले नीतीश सरकार का यह फैसला मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है। ओवैसी भी बिहार में अपनी सक्रियता बढा रहे हैं। उनकी बढती गतिविधियों का ज्यादा असर जेडीयू और राजद पर ही पड़ेगा। मुस्लिम वोटरों को राजद का पारम्परिक वोट बैंक माना जाता है। जेडीयू की भी उनके बीच पकड़ है। ऐसे में ओवैसी की बढती गतिविधियों का नुकसान राजद और जेडीयू को उठाना पड़ सकता है।