
Pipra Assembly Election 2025: बिहार की पिपरा विधानसभा सीट सुपौल जिले में आती है। यह सीट 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद अस्तित्व में आई। सुपौल जिले की 5 विधानसभाओं में यह सीट राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जाती है। यहां पर चुनावी समीकरण जातीय गोलबंदी, लोकल मुद्दों और उम्मीदवारों के व्यक्तित्व पर टिका रहता है। पिपरा विधानसभा चुनाव 2025 में जेडीयू के रामभिलाष कामत ने दूसरी बार जीती है। उन्हें 107041 वोट मिले और उन्होंने 37776 वोटो से कांग्रेस उम्मीदवार अनिल कुमार को हराया। अनिल कुमार को 69265 वोट मिले। तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार लक्ष्मीकात भारती रहे, जिन्हें 12014 वोट मिले।
पिपरा विधानसभा सीट पर यादव, भूमिहार और अनुसूचित जाति के मतदाताओं का दबदबा है। 2015 में यादव वोटों के ध्रुवीकरण ने राजद को जीत दिलाई, लेकिन 2020 में जेडीयू ने एनडीए गठबंधन के सहारे जातीय समीकरण बदल डाले। 2025 में मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है-बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी के बीच।
नोट: यह सीट 2008 में बनने के बाद पहला विधानसभा चुनाव था, जिसमें जेडीयू ने शुरुआती बढ़त बनाई।
नोट: इससे साफ है कि पिपरा सीट पर कभी जेडीयू तो कभी आरजेडी का पलड़ा भारी रहा, लेकिन भाजपा और लोजपा भी मजबूत चुनौती पेश करती रही हैं। 2020 में यहां सबसे बड़ा फैक्टर यह रहा कि राजद का पारंपरिक वोटबैंक जेडीयू की ओर शिफ्ट हुआ, जिससे एनडीए को फायदा मिला था।
पिपरा विधानसभा क्षेत्र में यादव, दलित और अल्पसंख्यक वोटर्स की बड़ी संख्या है। यही वजह है कि आरजेडी को यहां लगातार मजबूत पकड़ मिलती रही। हालांकि, जेडीयू ने विकास और स्थानीय नेतृत्व के दम पर कई बार जीत हासिल की।
खास बात: पिछले तीन चुनावों के नतीजे बताते हैं कि पिपरा सीट पर हर बार सत्ता का पलड़ा बदलता रहा है, जिससे इसे राजनीतिक दृष्टि से बेहद दिलचस्प माना जाता है।
2010 में सुजाता देवी (जेडीयू) ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। यह सीट उन चंद विधानसभा क्षेत्रों में है जहां महिला प्रत्याशी को समर्थन मिला और उन्होंने राजनीतिक इतिहास बनाया।
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