
पटनाः बिहार चुनाव 2025 से ठीक पहले राज्य की राजनीति में 15 ‘लापता’ पार्टियों पर बड़ी कार्रवाई की आहट है। चुनाव आयोग ने पिछले छह साल से एक भी चुनाव में मैदान से गायब रहने वाले इन निबंधित राजनीतिक दलों की पोल खोल दी है। इन सभी दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। कुछ दलों ने तो चुनाव अधिकारी के समक्ष अपनी स्थिति बताई, लेकिन अधिसंख्य पार्टियां जवाब तक देने नहीं आईं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की रिपोर्ट पर अब चुनाव आयोग तय करेगा कि इन्हें गैर मान्यताप्राप्त सूची में रखा जाए या पूरी तरह सूची से बाहर किया जाए।
बिहार में जिन 15 दलों पर मान्यता रद्दीकरण की तलवार लटक रही है, उनका नाम कुछ इस प्रकार है…
1- भारतीय आवाम एक्टिविस्ट पार्टी
2- भारतीय जागरण पार्टी
3- भारतीय युवा जनशक्ति पार्टी
4- एकता विकास महासभा पार्टी
5- गरीब जनता दल (सेक्युलर)
6- जय जनता पार्टी
7- जनता दल हिंदुस्तानी
8- लोकतांत्रिक जनता पार्टी (सेक्युलर)
9- मिथिलांचल विकास मोर्चा
10- राष्ट्रवादी युवा पार्टी
11- राष्ट्रीय सद्भावना पार्टी
12- राष्ट्रीय सदाबहार पार्टी
13- वसुधैव कुटुंबकम पार्टी
14- वसुंधरा जन विकास दल
15- यंग इंडिया पार्टी
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निबंधित दलों को कई चुनावी पारितोषिक मिलते हैं, सरकारी सुविधा, सिंबल, प्रचार में प्राथमिकता। लेकिन अगर पार्टी लगातार निष्क्रिय रहे तो आयोग इनका रजिस्ट्रेशन और लाभ छीन सकता है। अगस्त में भी बिहार के कई दल ऐसे कारणों से सूची से बाहर किए जा चुके हैं।
बिहार का चुनावी मौसम गरम हो गया है और इस बार 15 राजनीतिक दल अपनी मान्यता की जंग में आयोग के सामने खड़े हैं। अगले कुछ दिनों में तय हो जाएगा कि कौन दल बने रहेंगे और किनका नाम हमेशा के लिए राजनीति के कागजों में ही सिमट जाएगा।
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