4 भैंस-11 हजार रुपए और...दिल को छू लेने वाली है खेसारी लाल यादव के दूल्हा बनने की स्टोरी

Published : Oct 17, 2025, 01:25 PM IST
खेसारी लाल यादव और चन्दा देवी

सार

भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव ने RJD जॉइन कर राजनीति में कदम रखा है। वे छपरा से चुनाव लड़ेंगे। यह उनके लिट्टी-चोखा बेचने के संघर्ष से लेकर भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार बनने तक के सफर का अगला पड़ाव है।

पटनाः बिहार की मिट्टी से निकला एक लड़का, जिसने लिट्टी-चोखा बेचकर पेट पाला, भीड़ में गाना गाया, फिल्मों में जगह बनाई और अब सियासत में कदम रख दिया। नाम है खेसारी लाल यादव। वो नाम जो कभी संघर्ष की मिसाल था, आज बिहार की राजनीति में अपना नाम बनाने निकल चुका है। वो छपरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, हालांकि इस सीट से पहले खेसारी लाल यादव की पत्नी चन्दा चुनाव लड़ने वाली थी, लेकिन वो किसी कारण से चुनाव नहीं लड़ पाई।

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दामन थामते हुए खेसारी लाल यादव ने कहा, “हम तेजस्वी भैया के साथ काम करने को तैयार हैं। अब मंच पर नहीं, जनता के बीच जाकर काम करेंगे।” तेजस्वी यादव ने भी मुस्कुराते हुए कहा, “खेसारी लाल जनता के दिलों में बसते हैं। ये अब जनता की आवाज़ बनेंगे।”

चार भैंस बेचकर हुई थी शादी

यह कहानी सिर्फ एक स्टार की नहीं, बल्कि उस भोजपुरी मिट्टी की है, जहां सपने गरीबी से लड़कर भी जिंदा रहते हैं। साल 2006 में जब खेसारी लाल की शादी चंदा देवी से हुई, तब उनके पास इतना भी पैसा नहीं था कि वह सेहरा खरीद सकें। उनके ससुर ने अपनी 4 भैंसें बेच दीं, ताकि दूल्हे के कपड़े और सेहरा बन सके। खेसारी की शादी सिर्फ 11,000 रुपये में हुई थी, वही पैसा जो लड़की वालों ने तिलक में दिया था। लेकिन खेसारी के पिता ने बाद में वो पैसा लौटा दिया, क्योंकि उनके घर में तिलक लेने की परंपरा नहीं थी।

खेसारी का संघर्ष शादी के बाद भी खत्म नहीं हुआ। वो दिल्ली की सड़कों पर लिट्टी-चोखा का ठेला लगाते, दिनभर की मजदूरी करते और शाम को बस यही उम्मीद होती कि “एक दिन कुछ बड़ा करेंगे”। ये उनकी जिंदगी का एसा वक्त था जब उनकी पत्नी चंदा देवी ने एक ही साड़ी में छह-छह महीने गुजारे। कभी खाने को रोटी नहीं, कभी किराया देने के पैसे नहीं। लेकिन उन्होंने कभी अपने पति का हौसला टूटने नहीं दिया। खेसारी आज भी कहते हैं, “अगर मेरी पत्नी उस वक्त मेरा साथ न देती, तो आज मैं कुछ भी नहीं होता।”

दिल्ली से सिनेमा तक

दिल्ली में ठेला लगाने वाले खेसारी को गाने का जुनून था। वो भैंस चराते वक्त गाते, सड़क किनारे गाते, मेले में गाते, लेकिन लोगों को उनकी आवाज़ में सच्चाई दिखती थी। यही देख उनके पिता ने पहली कैसेट निकलवाई 12,000 रुपये में। वो फ्लॉप हो गई। दूसरी बार 15,000 रुपये लगाए वो भी नहीं चली। तीसरी बार 8,000 रुपये में जब कैसेट आई, तो लोगों ने सुना और खेसारी चल पड़े। फिर मिली सुधीर लाहोटी की फिल्म और वहीं से भोजपुरी इंडस्ट्री को मिला उसका सबसे बड़ा स्टार। आज खेसारी भोजपुरी सिनेमा का चेहरा हैं, जिनके गीत करोड़ों लोग गुनगुनाते हैं।

संघर्ष की असली हीरोइन पत्नी चंदा देवी

जब खेसारी शूटिंग में रहते हैं, तो चंदा घर संभालती हैं। वो आज भी सादगी से रहती हैं बिना किसी दिखावे के। न मीडिया की चकाचौंध, न राजनीति की चमक, बस परिवार और अपने पति का साथ। खेसारी हर इंटरव्यू में कहते हैं, “चंदा मेरी ताकत हैं। उन्होंने गरीबी, अपमान, सब कुछ सहा, लेकिन कभी हार नहीं मानी।” अब जब राजनीति की नई पारी शुरू हुई, तो चंदा देवी भी उनके साथ RJD में शामिल हो गईं।

भोजपुरी स्टार से जनता के नेता तक

तेजस्वी यादव ने खेसारी को शामिल कर बिहार की राजनीति में एक नया चेहरा दिया है। एक ऐसा चेहरा जो गरीबों से जुड़ा है, किसानों से निकला है, और जनता के दिलों में जगह रखता है। खेसारी ने कहा, “मैं फिल्मों में भी जनता की कहानियाँ सुनाता था। अब राजनीति में जनता की आवाज़ बनूँगा।”

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