बिहार के इस गांव के फगुआ पोखर पर हजारों लोग खेलते हैं वृंदावन सी होली, जानिए क्या है परम्परा?

Published : Mar 07, 2023, 09:48 PM IST
holi

सार

होली का पर्व हो और मथुरा-वृंदावन का जिक्र न हो, यह संभव नहीं। वृंदावन की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। ठीक उसी तर्ज पर समस्तीपुर जिले के रोसड़ा स्थित भिरहा गांव में भी होली खेली जाती है।

समस्तीपुर। होली का पर्व हो और मथुरा-वृंदावन का जिक्र न हो, यह संभव नहीं। वृंदावन की होली पूरी दुनिया में मशहूर है। ठीक उसी तर्ज पर समस्तीपुर जिले के रोसड़ा स्थित भिरहा गांव में भी होली खेली जाती है। आयोजन इतना भव्य होता है कि इसे देखने के लिए आसपास के राज्यों के लोग भी आते हैं। होली के पर्व पर जाति धर्म का भेदभाव नहीं दिखता। सबके सहयोग से होलिका दहन की तैयारी की जाती है। गांव में सबसे ऊंचा ध्वजारोहण किया जाता है। बीस हजार की आबादी वाले गांव के लोग तीन टोलों यानि पुरवारी, पछियारी और उत्तरवारी टोले में बंट कर होली मनाते हैं।

महीनों पहले शुरु हो जाती हैं होली की तैयारियां

होली की तैयारियां महीनों पहले शुरु हो जाती है। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें तीनों टोलों में खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ लगी रहती है। होलिका दहन के ही दिन से अलग अलग पांडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरु होते हैं। श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मतलब प्रथम स्थान पाने वाले बैंड को सम्मानित भी किया जाता है। मजे की बात यह है कि होली के दिन लोग अपने अपने घरों में होली खेलते हैं। उसके बाद लोग पोखरे पर पहुंचते हैं और पिचकारी से कुर्ता फाड़ होली खेलते हैं। इस दौरान पोखर का पानी भी गुलाबी रंग से रंग जाता है।

होलिका दहन की रात से शुरु हो जाता है संगीत का दौर

खास बात यह है कि गांव के तीनों टोलों के बीच मौजूद तीन मंदिर परिसर में होलिका दहन की रात से संगीत का दौर शुरु होता है, जो पूरी रात चलता है। कलाकार भी बनारस, मुजफ्फरपुर, कोलकाता आदि से बुलाए जाते हैं। देश के मशहूर बैंड बुलाए जाते हैं। इलाके के लोगों की मौजूदगी में बैंड के लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। गीत संगीत का आनन्द लेने के बाद लोग फगुआ पोखर पर पहुंचते हैं। पिचकारी से रंग डालकर पोखर का रंग गुलाबी किया जाता है। फिर लोग एक दूसरे पर पिचकारी से रंग डालते हैं।

अब कोरोना की पाबंदियां भी नही हैं, तो गांव के लोगों ने होली खेलने की जमकर तैयारियां की है। कलाकारों के गायन और नृत्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तीनों टोलों के बीच खुद को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ मची हुई है।

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