
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजते ही महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भाकपा (माले) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। RJD की ओर से CPI(ML) को 19 सीटों की पेशकश की गई थी, जिसे माले ने ठुकराते हुए साफ कहा कि वह इस बार 40 सीटों से कम पर तैयार नहीं है। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अब यह सवाल गूंज रहा है कि क्या बिहार में महागठबंधन की एकता खतरे में है?
2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) को RJD ने 19 सीटें दी थीं, जिनमें से उसने शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस प्रदर्शन से उत्साहित माले अब अपनी राजनीतिक हैसियत के मुताबिक ज़्यादा सीटें चाहती है। पार्टी का कहना है कि 2020 में उसकी पकड़ जिन इलाकों में बढ़ी है, वहां उसे इस बार ज़्यादा अवसर मिलना चाहिए।
माले के राज्य सचिव कुणाल ने बयान जारी करते हुए कहा, “हम सम्मानजनक साझेदारी चाहते हैं। हमने बिहार में लगातार जनसंघर्ष किए हैं और हमारे पास मजबूत जनाधार है। हमारी मांग 40 सीटों की है, लेकिन हम बातचीत के लिए तैयार हैं। अब गेंद RJD के पाले में है।”
तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली RJD ने CPI(ML) को उतनी ही सीटें देने की पेशकश की जितनी पिछली बार दी थी यानी 19 सीटें। मगर माले ने इसे अनुचित और असम्मानजनक करार दिया। पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर RJD बड़ा भाई बनकर छोटे दलों की अनदेखी करेगा, तो गठबंधन की एकता कमजोर हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार, CPI(ML) ने अब 30 अनिवार्य सीटों की सूची RJD को सौंप दी है और कहा है कि इन पर कोई समझौता नहीं होगा।
सिर्फ माले ही नहीं, बल्कि CPI और CPM भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर नाराज़ बताए जा रहे हैं। कांग्रेस, जो पहले से ही घटते जनाधार से परेशान है, वह भी अपने लिए पर्याप्त सीटें चाहती है। इस वजह से RJD के लिए समीकरण साधना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। महागठबंधन के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि सोमवार देर रात हुई मीटिंग में CPI(ML) और RJD के बीच कई दौर की बहस चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
जहां एक ओर INDIA गठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान जारी है, वहीं दूसरी ओर NDA ने अपने फॉर्मूले को लगभग फाइनल कर लिया है। जेडीयू (JDU) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA का गठबंधन मजबूत है। सीटों और उम्मीदवारों को लेकर बातचीत सहज रूप से चल रही है।”
भाजपा के नेता धर्मेंद्र प्रधान ने भी चिराग पासवान से मुलाकात की है ताकि NDA के अंदर कोई नाराजगी न रहे। यानी NDA अपने हाउस को व्यवस्थित कर रहा है जबकि महागठबंधन अंदरूनी कलह में उलझा है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तेजस्वी यादव इस बार दोहरी चुनौती में फंसे हैं। एक तरफ NDA की मज़बूत चुनावी मशीनरी, और दूसरी तरफ अपने ही सहयोगियों की नाराज़गी। 2020 में CPI(ML) ने महागठबंधन को अप्रत्याशित ताकत दी थी। अगर इस बार माले दूर चली गई या सीटें कम मिलीं, तो RJD के लिए कई सीटों पर हार का जोखिम बढ़ जाएगा।
बिहार में महागठबंधन को हमेशा से संख्या का नहीं, एकता का खेल कहा जाता रहा है। लेकिन अगर यही एकता सीटों की लड़ाई में बिखरती है, तो NDA इसका पूरा फायदा उठा सकता है। अभी तक INDIA गठबंधन में RJD, कांग्रेस, CPI, CPI(M), CPI(ML) और VIP शामिल हैं, लेकिन अंदरूनी स्थिति देखकर यह साफ है कि “सब एक साथ” वाली तस्वीर अभी काफी दूर है।
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