शारदा सिन्हा: 22 दिन पहले जहां दी पति को अंतिम विदाई,वहीं हुईं पंचतत्व में विलीन

Published : Nov 07, 2024, 11:33 AM ISTUpdated : Nov 07, 2024, 11:41 AM IST
Sharda Sinha

सार

लोकप्रिय छठ गायिका शारदा सिन्हा का पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अंशुमान ने उन्हें मुखाग्नि दी और घाट पर 'शारदा सिन्हा अमर रहे' के जयकारे गूंजते रहे।

पटना। छठ महापर्व की सुर साम्राज्ञी और लोक गायिका शारदा सिन्हा आज पटना के गुलबी घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गईं। राजकीय सम्मान के साथ हुए इस अंतिम संस्कार में बेटे अंशुमान ने मुखाग्नि दी। घाट पर 'शारदा सिन्हा अमर रहे' के साथ-साथ छठी मईया के जयकारों की गूंज सुनाई दी। शारदा सिन्हा को छठ महापर्व के लिए गाए गए गीतों के कारण एक विशेष पहचान मिली थी और उनके बिना यह पर्व अधूरा माना जाता था। उन्होंने छठ पूजा के पहले दिन दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी श्रद्धांजलि, पूर्व सांसद और विधायक ने दिया कंधा

सुबह 9 बजे के करीब पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जो गुलबी घाट पर समाप्त हुई। उनके पुत्र अंशुमान के साथ पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया ने भी अर्थी को कंधा दिया। उनके प्रशंसकों और चाहने वालों की बड़ी संख्या इस अंतिम यात्रा में शामिल हुई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी उनके आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जबकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार शाम को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम बनाया।

पति का निधन भी 45 दिन पहले, इसी घाट पर हुआ था अंतिम संस्कार

शारदा सिन्हा के पति का भी इसी साल 22 सितंबर को निधन हुआ था और उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर ही किया गया था। शारदा सिन्हा की इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार भी इसी घाट पर किया जाए। छठ महापर्व के पहले दिन 5 अक्टूबर को उन्होंने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली। उनके पार्थिव शरीर को फ्लाइट से पटना लाया गया था और राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास पर रखा गया था, जहां उनके प्रशंसक और करीबी लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।

बिहार की कोकिला: शारदा सिन्हा

1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मीं शारदा सिन्हा को उनकी भावपूर्ण आवाज और छठ महापर्व के लिए गाए गए गीतों के कारण विशेष पहचान मिली। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था और 1978 में उनका पहला छठ गीत 'उग हो सूरज देव' रिकॉर्ड हुआ था। 1989 में 'कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां...' गाने से उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा। इसके अलावा, वे समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत रहीं।

परिवार में कौन-कौन है?

उनके परिवार में बेटे अंशुमान सिन्हा और बेटी वंदना हैं। अपने जीवनकाल में उन्होंने छठ, विवाह, मुंडन, जनेऊ, विदाई जैसे पारंपरिक संस्कार गीतों के साथ-साथ श्रद्धांजलि गीत भी गाए हैं। उनकी मधुर आवाज और लोक संगीत के प्रति प्रेम ने उन्हें देशभर में लोकप्रिय बना दिया।

 

 

PREV

बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

Nitish Kumar ने PM Modi का जिक्र कर विपक्ष को दी चेतावनी! देखें पूरा बयान
रसगुल्ला कम पड़ते ही शादी बनी जंग का मैदान