
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक अप्रत्याशित सियासी मोड़ उस वक्त देखने को मिला जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने कैमूर जिले की मोहनियां विधानसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने की घोषणा की। यह कदम पार्टी के लिए एक रणनीतिक फैसला माना जा रहा है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या यह तेजस्वी यादव की सियासी चालाकी है या मजबूरी?
मोहनियां सीट से RJD की आधिकारिक प्रत्याशी श्वेता सुमन पासवान का नामांकन जाति प्रमाण पत्र में गड़बड़ी के कारण रद्द हो गया। अचानक आई इस परेशानी ने महागठबंधन की चुनावी तैयारी को झटका दिया। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने स्थिति संभालने के लिए तेज़ी से रणनीतिक निर्णय लिया। तेजस्वी यादव ने बुधवार को वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के बाद निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने का ऐलान कर दिया।
रवि पासवान, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं। छेदी पासवान ने बीजेपी के टिकट पर सासाराम लोकसभा सीट से दो बार जीत हासिल की थी। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। रवि पासवान की पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत है। वे दलित समाज से आते हैं और इलाके में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह कदम सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। मोहनियां सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है, और RJD दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में साधना चाहती है। रवि पासवान के पास इलाके में संगठन और जनसंपर्क का नेटवर्क पहले से मौजूद है, ऐसे में RJD का समर्थन उन्हें अतिरिक्त ताकत दे सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि रवि पासवान जिस पार्टी (बीजेपी) से जुड़े रहे हैं, अब उसी के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं, वह भी RJD के समर्थन के साथ। इस कदम से बीजेपी को अपने ही गढ़ में बगावत की आंच महसूस हो रही है। स्थानीय स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति है कि छेदी पासवान का परिवार अब किस खेमे में सक्रिय रहेगा।
मोहनियां विधानसभा सीट हमेशा से सियासी रूप से महत्वपूर्ण रही है। यहाँ के चुनाव में जातीय समीकरण और स्थानीय प्रभाव दोनों अहम भूमिका निभाते हैं। इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। एक ओर बीजेपी को अपने पुराने सहयोगी परिवार से चुनौती मिल रही है, तो दूसरी ओर RJD ने चालाकी से विपक्ष की ताकत को कमजोर करने की कोशिश की है।
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