
बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में मंगलवार रात को लुत्ती जलाशय का बड़ा हिस्सा टूट गया। इस भीषण हादसे में दो घर बह गए और सात लोग पानी में बह गए। घटनास्थल पर प्रशासन और ग्रामीणों ने मिलकर राहत और बचाव अभियान चलाया। इस घटना ने पूरे जिले में हाहाकार मचा दिया है। क्या भारी बारिश और जलाशय की पुरानी सीपेज लापरवाही इस त्रासदी की वजह बनी?
बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत विश्रामनगर के ग्राम धनेशपुर में स्थित लुत्ती जलाशय 1980-81 में बनाया गया था। यह जलाशय दो पहाड़ों से घिरे क्षेत्र में स्थित है, जिसमें पानी एक ओर से नाले के माध्यम से आता है। पिछले 10-12 वर्षों में जलाशय में सीपेज देखा गया था और मरम्मत कराई गई थी। मंगलवार रात को लगातार बारिश और जलाशय की निगरानी की कमी के कारण इसका निचला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और पानी पूरे वेग से नीचे बहने लगा। जलाशय टूटने के समय रामवृक्ष के घर पर पानी आया। रामवृक्ष घर से बाहर था, लेकिन घर में सो रही उसकी पत्नी, दो बहू और तीन पोते-पोती पानी में बह गए। यह घटना एक परिवार की पूरी जिंदगी को बदलने वाली साबित हुई।
इस हादसे में अब तक चार लोगों की लाश बरामद की जा चुकी है, जबकि दो बच्चे और एक ग्रामीण अभी तक लापता हैं। प्रशासन ने तलाशी अभियान तेज कर दिया है और ग्रामीण भी खुद राहत कार्य में जुटे हैं। नजदीकी कनहर नदी में बाढ़ का पानी बह रहा है, जिससे लापता लोगों के सुरक्षित निकलने की संभावना कम दिखाई दे रही है।
मौके पर बलरामपुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा और पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर पहुंचे। प्रशासन ने राहत कार्य के लिए पूरी टीम को तैनात किया। आसपास के गांवों से ग्रामीण भी मदद के लिए जुटे और लापता लोगों की खोज में लगे। प्रशासन ने चेतावनी जारी की कि कनहर नदी में बाढ़ का पानी तेजी से बह रहा है और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी।
इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या पुराने जलाशयों की मरम्मत और निगरानी में लापरवाही भविष्य में और बड़े हादसे का कारण बन सकती है? लगातार बढ़ती बारिश और जलाशयों की सीमित क्षमता प्राकृतिक आपदाओं को और विनाशकारी बना सकती है।
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