छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ दो डिप्टी सीएम का ऐलान कर लोकसभा चुनाव में ओबीसी और आदिवासी वोटर्स को साधा

Published : Dec 10, 2023, 09:23 PM ISTUpdated : Dec 10, 2023, 09:31 PM IST
Chhattisgarh New CM and DCM

सार

मुख्यमंत्री पद की रेस में आगे चल रहे पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह को स्पीकर बनाने पर सहमति बनी है। रायपुर में बीजेपी विधायकों की मीटिंग में सारे नामों पर अंतिम मुहर लगी।

Chhattisgarh BJP Government Two DCM announced: छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस समाप्त होने के साथ घोषित नए सीएम के अन्य सहयोगियों को लेकर भी स्थितियां स्पष्ट हो गई हैं। राज्य के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ हाईकमान ने दो डिप्टी सीएम के नाम भी तय कर दिए हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐलान किया गया है। यही नहीं, मुख्यमंत्री पद की रेस में आगे चल रहे पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह को स्पीकर बनाने पर सहमति बनी है। रायपुर में बीजेपी विधायकों की मीटिंग में सारे नामों पर अंतिम मुहर लगी। बीजेपी ने मुख्यमंत्री और दो-दो डिप्टी सीएम के नामों का ऐलान कर राज्य में ओबीसी और आदिवासी वोटर्स को साधने की कोशिश की है। राज्य में ओबीसी की संख्या सबसे अधिक है तो दूसरे नंबर पर आदिवासी वोटर्स हैं।

कौन हैं अरुण साव?

अरुण साव, भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ राज्य के अध्यक्ष हैं। विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रियता काफी रही। वह ओबीसी समुदाय से आते हैं। जबकि विजय शर्मा पहली बार विधायक बने हैं। वह कांग्रेस के कद्दावर नेता अकबर भाई को हराकर विधायक बने हैं। दोनों को उप मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पूर्व सीएम अब होंगे स्पीकर

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की कमान संभाल चुके पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह पर पार्टी ने इस बार दांव नहीं लगाया है। उनको मुख्यमंत्री पद न सौंपकर विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला लिया गया है। रमन सिंह इस बार भी मुख्यमंत्री पद की रेस में थे। बीजेपी के 54 विधायक इस बार जीते हैं। पार्टी लीडरशिप ने यह फैसला आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए लिया गया है। छत्तीसगढ़ में ओबीसी की सबसे अधिक संख्या है जबकि आदिवासी समुदाय की संख्या दूसरे नंबर पर है। आदिवासी यहां 32 प्रतिशत हैं। इनका दो दर्जन से अधिक सीटों पर प्रभाव है और जीत-हार यही समुदाय तय करता है। सरगुजा में 14 तो बस्तर की 12 सीटों पर आदिवासी वोटर्स का प्रभाव है। 2018 के विधानसभा में कांग्रेस ने इन दोनों क्षेत्रों की 26 में 22 सीटों पर जीत हासिल किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस यह करिश्मा दोहराने में असफल रही है।

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