मरे हुए 11 कर्मचारियों का हो गया प्रमोशन, करोड़ों का पेमेंट होने के बाद सच आया सामने

Published : Jun 27, 2025, 11:47 PM IST
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सार

Chhattisgarh Recruitment Scam: छत्तीसगढ़ के जनजातीय कल्याण विभाग में भर्ती घोटाला सामने आया है, जहां 11 मृत कर्मचारियों को प्रमोशन दे दिया गया। मामला 2013 की भर्ती से जुड़ा है, जिसे अब विधानसभा में उठाए जाने पर दोबारा जांच के आदेश हुए हैं।

Chhattisgarh Recruitment Scam: छत्तीसगढ़ के जनजातीय कल्याण विभाग (Tribal Welfare Department) में ऐसा घोटाला सामने आया है जो हैरान कर देने वाला है। इस घोटाले में न सिर्फ विज्ञापित पदों से ज्यादा लोगों की नियुक्ति हुई बल्कि 11 मृत कर्मचारियों को भी प्रमोशन दे दिया गया।

मृत कर्मचारियों को प्रमोशन क्या है पूरा मामला?

वर्ष 2013 में विभाग ने वर्ग-4 (Class IV) पदों के लिए 559 रिक्तियां निकाली थीं लेकिन 605 लोगों की नियुक्ति कर दी गई। नियम के अनुसार, नियुक्त कर्मचारियों को पहले तीन साल तक कलेक्टर ग्रेड का वेतन नहीं मिलना था। इसके बावजूद उन्हें पहले दिन से ही 10,890 रुपए प्रतिमाह वेतन दिया गया जबकि उन्हें केवल 4,943 रुपए का अधिकार था। 16 महीनों तक किसी ने इस गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया और इस दौरान राज्य को 5.7 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो गया।

मरे हुए कर्मचारियों को भी मिला प्रमोशन

10 साल बाद जब कर्मचारियों के रेगुलराइजेशन की प्रक्रिया शुरू हुई, तब पता चला कि सूची में शामिल 11 कर्मचारी पहले ही दम तोड़ चुके थे। इसके बावजूद उन्हें प्रमोशन लिस्ट में शामिल कर दिया गया। मृत कर्मचारियों में फूलकुमारी (मृत्यु: मई 2021), गणेश राम (नवंबर 2016), परखित कुमार (सितंबर 2017), चंपा चौहान (दिसंबर 2018), राकेश सिदार (मई 2019) जैसे कई नाम शामिल हैं।

जांच और कार्रवाई का हाल

शिकायत के बाद विभाग ने आंतरिक जांच शुरू की जिसने अनियमितताओं की पुष्टि कर दी। इसके बाद रायगढ़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त अविनाश श्रीवास को सस्पेंड कर दिया गया लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। मामला हाल ही में विधानसभा में उठाए जाने के बाद 9 अप्रैल 2025 को दोबारा जांच के आदेश दिए गए।

राजनीतिक घमासान: कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार में लिप्ट है। यह भर्ती प्रक्रिया बीजेपी सरकार के समय हुई थी। उस वक्त की शिकायतें अब सच साबित हो रही हैं। बीजेपी को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। बीजेपी का असली काम लेन-देन का है। वहीं, बीजेपी प्रवक्ता राजीव चक्रवर्ती ने कहा कि यह भ्रष्टाचार नहीं, मानवीय गलती है। वैसे जैसे ही मामला सामने आया, सरकार ने कार्रवाई की है। 

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