
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आयोजित जशपुर जम्बुरी ने पर्यटन को नई दिशा दी है। 6 से 9 नवंबर तक आयोजित इस चार दिवसीय कार्यक्रम में देशभर से आए पर्यटकों ने स्थानीय संस्कृति, सुंदर वादियों और रोमांचक गतिविधियों का अनुभव किया। यह आयोजन जिला प्रशासन की पहल पर किया गया, जिसने जशपुर को “ग्रामीण पर्यटन के नए केंद्र” के रूप में पहचान दिलाई।
कार्यक्रम के दौरान ग्राम केरे में पर्यटकों के लिए आठ होम स्टे की सुविधा उपलब्ध कराई गई। यहाँ आने वाले मेहमानों को सभी आवश्यक सुविधाएँ दी गईं। इस पहल से ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिला और स्थानीय परिवारों को आर्थिक मजबूती का अवसर भी मिला। पर्यटक यहाँ सिर्फ अतिथि नहीं, बल्कि परिवार का हिस्सा बनकर रह रहे हैं। वे स्थानीय जीवनशैली, पारंपरिक खान-पान और रीति-रिवाजों को नजदीक से अनुभव कर रहे हैं। एक पर्यटक ने कहा, “होम स्टे का अनुभव होटल से कहीं बेहतर है — यहाँ की सादगी और आत्मीयता ने मन मोह लिया।”
जशपुर का यह होम स्टे मॉडल पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, भाषा और व्यंजनों से सीधे जोड़ता है। घरेलू वातावरण में रहने से यात्रियों को परिवार जैसा अनुभव मिलता है। यह होटल की तुलना में सस्ता, आरामदायक और व्यक्तिगत जुड़ाव वाला विकल्प है। छत्तीसगढ़ अब हिमाचल, केरल, सिक्किम और असम जैसे राज्यों की तरह होम स्टे आधारित ग्रामीण पर्यटन की नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। जशपुर की हरियाली और पहाड़ियाँ इसे और अधिक आकर्षक बनाती हैं।
रोमांच प्रेमियों के लिए जशपुर जम्बुरी में खास आकर्षण रहा रॉक क्लाइंबिंग। देशदेखा क्षेत्र में लगभग 120 पर्यटकों ने सुरक्षा विशेषज्ञों की निगरानी में रॉक क्लाइंबिंग का अनुभव लिया। पर्यटक वादियों के बीच रोमांच और सुकून का संगम महसूस कर रहे थे।
पहले दिन पंजीकृत पर्यटकों को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी शैली में दोना-पत्तल में भोजन परोसा गया। शाम को लोक कलाकारों के गीतों और नृत्यों ने उत्सव का माहौल बना दिया। चांदनी रात में संगीत और नृत्य की लहरों ने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया।
जशपुर जम्बुरी की सबसे यादगार झलक रही स्टार-गेजिंग सेशन, जिसमें पर्यटकों ने खुले आसमान के नीचे तारों की सुंदरता का आनंद लिया। लोकगीत, नृत्य और चांदनी की उजास ने इस पल को अविस्मरणीय बना दिया।
जिला प्रशासन द्वारा निवास, भोजन, सुरक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई। इसने जशपुर जम्बुरी को एक आदर्श ग्रामीण पर्यटन उत्सव बना दिया। इस आयोजन से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला, बल्कि जशपुर को “प्रकृति, संस्कृति और एडवेंचर का संगम” के रूप में राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान मिली।
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