कोरिया जिले के किशोरी गांव में अमृत सरोवर से खेती, आजीविका और महिला सशक्तिकरण को नई दिशा

Published : Sep 30, 2025, 10:45 AM IST
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सार

कोरिया जिले के किशोरी ग्राम में मिशन अमृत सरोवर के तहत तालाब का कायाकल्प हुआ। अब यह तालाब खेती, पशुओं के पानी, मछली पालन और महिला स्व-सहायता समूह की आजीविका का बड़ा साधन बनकर ग्रामीणों की खुशहाली और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।

रायपुर। कोरिया जिले के सोनहत जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम किशोरी में मिशन अमृत सरोवर के तहत नवीनीकृत हुआ तालाब आज गाँव की जीवनरेखा बन चुका है। जो तालाब कभी अनुपयोगी हो गया था, वही अब ग्रामीणों के लिए दैनिक निस्तार, पशुओं के पेयजल, खेती-बाड़ी और आजीविका संवर्धन का अहम साधन बन गया है।

20 साल पुराने तालाब का कायाकल्प

ग्राम पंचायत किशोरी का यह तालाब लगभग 20 साल पुराना है, लेकिन लंबे समय तक उपेक्षा के कारण अनुपयोगी हो गया था। वित्तीय वर्ष 2022-23 में पंचायत के प्रस्ताव पर इसे मिशन अमृत सरोवर योजना के तहत पुनर्जीवित किया गया। करीब 10 लाख रुपये की लागत से तालाब का जीर्णोद्धार हुआ और इसकी जलभराव क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 10 हजार घनमीटर कर दिया गया।

किसानों की खेती को मिला सहारा

तालाब के पुनर्निर्माण से आसपास के किसानों को सीधा फायदा हुआ है। किसान मनोज रक्सेल और अरविंद सिंह की तीन-तीन एकड़, वहीं सुरेंद्र, लक्ष्मण, वीरेन्द्र और आनंद की दो-दो एकड़ ज़मीन इस तालाब से सिंचित हो रही है। इसके अलावा जगबली यादव की लगभग सवा एकड़ भूमि भी इससे लाभान्वित हो रही है। किसान बताते हैं कि अब वे खरीफ के साथ रबी की फसलें भी उगा पा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है और जीवन बेहतर हो रहा है।

महिलाओं की आय में हुआ इज़ाफा

ग्राम पंचायत ने तालाब को केवल खेती के लिए ही नहीं, बल्कि आजीविका संवर्धन का साधन भी बनाया है। इसे स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह को लीज पर दिया गया है। जय मां महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य महिलाओं ने पिछले ग्रीष्मकाल में तालाब से मछली पालन कर 75 हजार रुपये की कमाई की। समूह की अध्यक्ष श्रीमती सोनकुंवर और सचिव श्रीमती जीराबाई ने बताया कि इस साल लगभग तीन लाख रुपये के मछली उत्पादन की उम्मीद है। यह कदम महिलाओं के लिए अतिरिक्त आय और पोषण का बड़ा जरिया साबित हो रहा है।

ग्रामीणों की खुशहाली का प्रतीक

किशोरी ग्राम पंचायत का यह अमृत सरोवर आज सिर्फ जल संरक्षण का साधन नहीं, बल्कि किसानों की समृद्धि और महिलाओं की आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है। ग्रामीण बताते हैं कि तालाब के पुनर्जीवन से उनके जीवन में स्थायी परिवर्तन आया है। पानी की उपलब्धता, खेती की बढ़ी उत्पादकता और महिलाओं की कमाई ने गाँव को नई दिशा दी है।

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