7 साल की लड़ाई, महिला जज ने वकील बनकर खुद लड़ा केस, फिर हुआ ये...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक महिला जज ने बर्खास्तगी के खिलाफ 7 साल तक खुद ही केस लड़ा और जीत हासिल की। हाईकोर्ट ने उन्हें फिर से नियुक्त कर दिया है।

CG High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक बड़ा और अनोखा मामला सामने आया है। जहां एक महिला जज ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए हाईकोर्ट में सात साल तक लड़ाई लड़ी। आपको बता दें कि स्टैंडिंग कमेटी की अनुशंसा पर महिला जज को 7 साल पहले सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसे लेकर महिला जज ने याचिका दायर की थी.

इस याचिका के साथ महिला जज ने खुद वकील बनकर (CG High Court) अपना केस लड़ा और कोर्ट में बहस की। महिला जज ने यह केस जीत लिया है। इसके बाद विधि एवं विधायी विभाग और हाईकोर्ट में अपील की गई। साथ ही महिला जज ने डिवीजन बेंच में भी अपना पक्ष रखा। महिला जज के पक्ष में फैसला आने के बाद अब हाईकोर्ट ने उन्हें नियुक्ति दे दी है।

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2013 में नियुक्त हुई थी महिला जज

जानकारी के अनुसार बिलासपुर सरकंडा (छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय) निवासी आकांक्षा भारद्वाज का चयन वर्ष 2012-13 में सिविल जज परीक्षा में जज (प्रवेश स्तर) के पद पर हुआ था। दिसंबर 2013 में दो वर्ष के लिए प्रोबेशन पर उनकी नियुक्ति हुई थी। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को कार्यभार ग्रहण किया था। कार्यालय में एक वरिष्ठ मजिस्ट्रेट ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया था। हालांकि उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की।

2014 में मिला स्वतंत्र प्रभार

आकांक्षा भारद्वाज को प्रारंभिक प्रशिक्षण (छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय) के बाद अगस्त 2014 में अंबिकापुर प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था। इस बीच अधिकांश वरिष्ठ मजिस्ट्रेटों का तबादला हो गया था। ऐसे में अंबिकापुर में मात्र 4 सिविल जज ही बचे थे। सभी सिविल जज एक वरिष्ठ मजिस्ट्रेट के अधीन थे।

वरिष्ठ लोग अनुचित व्यवहार करते थे

महिला जज ने आरोप लगाया कि जब भी वह न्यायिक मामलों में मार्गदर्शन लेने के लिए वरिष्ठ मजिस्ट्रेट (सीजी हाई कोर्ट) के पास जाती थी, तो उसके साथ अनुचित व्यवहार किया जाता था। इसकी शिकायत उसने पहले मौखिक रूप से और बाद में लिखित रूप से उच्च अधिकारियों से की। इस मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट ने आंतरिक शिकायत समिति गठित कर मामले की जांच कराई। इस समिति ने 6 अप्रैल 2016 को अपनी रिपोर्ट पेश की।

2017 में खारिज

आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट में वरिष्ठ मजिस्ट्रेट (सीजी हाई कोर्ट) के खिलाफ महिला जज की शिकायत को निराधार पाया गया। महिला जज ने समिति की रिपोर्ट के खिलाफ अपील की। ​​जिसे 5 जनवरी 2017 को खारिज कर दिया गया। इसके बाद हाई कोर्ट की अनुशंसा पर आकांक्षा को 9 फरवरी 2017 को विधायी विभाग ने बर्खास्त कर दिया।

बर्खास्तगी के बाद खुद लड़ी केस

बर्खास्तगी के खिलाफ महिला जज ने (सीजी हाई कोर्ट) याचिका दायर की। इसके साथ ही उसने खुद अपना पक्ष रखा। एकलपीठ ने मई 2024 में उनके पक्ष में फैसला दिया था। उन्हें बिना बकाया वेतन के सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश जारी किया गया था।

विधि एवं विधायी विभाग ने की थी अपील

इधर, महिला जज के पक्ष में फैसला आने के बाद हाईकोर्ट और विधि एवं विधायी विभाग ने एकलपीठ (छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट) के आदेश के खिलाफ अपील की थी। महिला सिविल जज ने एकलपीठ के फैसले के एक हिस्से को चुनौती दी थी।

इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई। जहां हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार कर ली। इसके बाद 3 दिसंबर 2024 को उनकी पदस्थापना की गई। सोमवार को हाईकोर्ट की ओर से जारी तबादला एवं पदस्थापना आदेश के तहत उनकी पदस्थापना महासमुंद में की गई है।

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