सुनियोजित थे दिल्ली के दंगे...पुस्तक का विमोचन, हिंसा के बारे में सबकुछ विस्तार से...

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमसी गर्ग ने कहा कि अगर पीड़ित परिवार अपनी समस्याओं की रिपोर्ट "कॉल फार जस्टिस' को भेजें तो हम उनकी लड़ाई लड़ेंगे। आईपीएस बोहरा ने कहा कि पीड़ित को अगर लगता है की दबाब में बयान लिया गया है तो वो अपना बयां बदल सकते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 23, 2021 2:15 PM IST / Updated: Feb 23 2021, 07:58 PM IST

दिल्ली। दिल्ली दंगों की बरसी पर कॉल फॉर जस्टिस की तरफ से एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक दिल्ली दंगे साजिश का खुलासा, का विमोचन किया गया। पुस्तक में विस्तार से पिछले साल पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बारे में लिखा गया है।

दिल्ली दंगे के तरह कृषि कानून पर भड़काया जा रहा
वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि जिस तरह दिल्ली दंगे भड़काए गए, उसी तरह इस साल कृषि कानूनों को लेकर भी किसानों को भड़काया जा रहा है। ग्रेटा थनबर्ग  की टूलकिट यदि बाजार में नहीं आई होती तो फिर से दिल्ली दंगों जैसी स्थिति पैदा हो सकती थी। यह शुक्र है कि इस बार ऐसा नहीं हो पाया है। दिल्ली दंगों और किसान आंदोलन के बीच काफी समानता है। दोनों में एक ही तरह का नेतृत्व काम कर रहा था। इन दोनों आंदोलनों में कई चेहरे एक जैसे हैं। 

कुछ ऐसे की गई थी दंगे की प्लानिंग
पत्रकार आदित्य भारद्वाज ने कहा कि वो खुद उस इलाके में रहते हैं जहां ये दंगे हुए थे। उनके मुताबिक दंगों की प्लानिंग बहुत ही बेहतर तरीके से की गई थी। दंगा उस समय शुरू किया गया, जबकि घरों में पुरुष नहीं थे। जबकि जिन दुकानों और जगहों पर हमला किया जाना था, वो पहले से ही तय किया गया था। उसके लिए सारे हथियारों को भी बंदोबस्त भी किया गया था।        

दिल्ली दंगा थी अंतरराष्ट्रीय साजिश
पुस्तक के लेखक मनोज वर्मा ने बताया कि दिल्ली दंगा एक अंतरराष्ट्रीय साजिश थी। जिसको कई महीनों पहले प्लान कर लिया गया था। वहीं, पुस्तक के अन्य लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप महापात्रा ने बताया कि जब कोर्ट में सीएए को लेकर 150 से ज्य़ादा पिटिशन लगी हुई थी तो उस समय योजनाबद्ध तरीके से दंगे कर कानून को प्रभावित करने की कोशिश थी।

सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ने कहा-मैं जानता हूं क्या होता है दंगा
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से होने के नाते वह जानते हैं कि दंगा क्या होता है। बहन-बेटियों की अस्मत लूटी गई। लोगों की हत्याएं हुईं। दिल्ली दंगा पीड़ितों की दास्तां सुन कर ऐसा लग रहा है कि इनके साथ इंसाफ नहीं हो रहा है। हम न्याय के लिए संबंधित लोगों तथा आर्थिक सहायता के लिए सरकार तक इनकी बात पहुंचाएंगे। 

पीड़ित फिर से दे सकते हैं बयान
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमसी गर्ग ने कहा कि अगर पीड़ित परिवार अपनी समस्याओं की रिपोर्ट "कॉल फार जस्टिस' को भेजें तो हम उनकी लड़ाई लड़ेंगे। आईपीएस बोहरा ने कहा कि पीड़ित को अगर लगता है की दबाब में बयान लिया गया है तो वो अपना बयां बदल सकते हैं। वहीं, कॉल फॉर जस्टिस के संयोजक नीरज अरोड़ा ने दिल्ली दंगों की प्लानिंग और उसको करने के कारणों के बारे में विस्तार से बताया। पहले सत्र का संचालन डॉ. जसपाली चौहान ने किया। 

(फाइल फोटो)
 

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