
Delhi Government Pension Scheme: कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 को अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल लगाया था, जिसके तहत हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं, खासकर विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं को जेल में डाला गया। इनमें से अधिकतर लोग वर्षों से न्याय और सम्मान की उम्मीद कर रहे थे।
रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में ऐलान किया कि दिल्ली सरकार लोकतंत्र सेनानियों को न सिर्फ पेंशन देगी, बल्कि उन्हें आधिकारिक तौर पर सम्मानित भी करेगी। यह निर्णय कई भाजपा शासित राज्यों की तर्ज पर लिया गया है।
इस कार्यक्रम में 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र भी सौंपे गए। यह कदम दशकों पुरानी पीड़ा पर मरहम लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर चर्चाएं गर्म हैं—क्या यह वाकई सम्मान की पहल है या फिर आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में की गई रणनीतिक चाल? इतिहास और वर्तमान की यह जुगलबंदी सवालों के घेरे में है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई भाजपा शासित राज्यों में पहले से ही आपातकाल में बंद रहे लोगों को पेंशन दी जा रही है। दिल्ली अब इस कड़ी में नया नाम बन गया है।
इस साल मार्च में भाजपा ने 'लोकतंत्र विजय दिवस' के मौके पर NDMC कन्वेंशन सेंटर में आपातकाल के बंदियों को सम्मानित किया था, जो शायद इस फैसले की पृष्ठभूमि बना।
पेंशन और सम्मान की यह स्कीम एक तरफ जहां ऐतिहासिक भूल को सुधारने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक रूप से भाजपा के वोटबैंक को मजबूत करने का जरिया भी हो सकती है।
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