
Delhi Electricity Hike: दिल्ली के लोगों को जल्द ही बिजली के बिल में बढ़ोतरी का झटका लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी की तीन निजी बिजली कंपनियों को पुराने खर्च यानी Regulatory Assets की भरपाई करने की इजाजत दे दी है। इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि ये कंपनियां अब यह पैसा बिजली उपभोक्ताओं से वसूल सकेंगी।
फिलहाल दिल्ली के बिजली बिलों में 8 प्रतिशत नियामक अधिभार जोड़ा जाता है। लेकिन अब यह दर और बढ़ सकती है, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, बीएसईएस BRPL, BYPL और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड को कुल ₹27,200 करोड़ की रकम अगले तीन साल में वसूलने की इजाजत दी गई है।
इस मामले को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। बीजेपी और कई उपभोक्ता संगठनों ने लगातार इस वसूली का विरोध किया है। बीजेपी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने निजी बिजली कंपनियों को जरूरत से ज्यादा खर्च दिखाने दिया, जबकि दिल्ली में ऐसी कोई आपदा या विशेष स्थिति नहीं थी। वहीं, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और उपभोक्ताओं के हित में काम करने वाली संस्थाएं भी इस फैसले के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इन खर्चों का पहले स्वतंत्र ऑडिट होना चाहिए था, ताकि यह पता चल सके कि कंपनियों का दावा सही है या नहीं।
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दूसरी ओर, बिजली कंपनियों का कहना है कि उन्होंने बिजली के नेटवर्क को सुधारने, उसका रखरखाव करने और महंगी बिजली खरीदने पर जो खर्च किया है, वही पैसा उपभोक्ताओं से वसूला जाना है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कंपनियां यह राशि उपभोक्ताओं से वसूल सकेंगी। BRPL का करीब ₹12,993 करोड़, BYPL का ₹8,419 करोड़ और TPDDL का ₹5,787 करोड़ बकाया है, जो अगले कुछ सालों में बिजली बिलों के जरिए वसूला जाएगा।
इस फैसले से दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को महंगे बिलों के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली सरकार और बिजली नियामक इस फैसले को लागू करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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