जब गांव की मिट्टी-पानी लेकर अपने 'मोहना' से मिलने पाकिस्तान से आया ये शख्स...

Published : Dec 27, 2024, 12:06 PM IST
Manmohan Singh Reunited With His Childhood Friend

सार

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और उनके बचपन के दोस्त राजा मोहम्मद अली के बीच 2008 में हुआ भावनात्मक पुनर्मिलन। जानिए, कैसे गाह गांव की मिट्टी और यादें बचपन के मोहना और राजा को फिर से जोड़ने का कारण बनीं।

नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक माने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में गुरुवार को निधन हो गया। उनके जीवन से जुड़ी अनगिनत कहानियों में से एक बेहद भावनात्मक घटना है, जब उन्होंने 2008 में अपने बचपन के पाकिस्तानी दोस्त राजा मोहम्मद अली से मुलाकात की।

पाकिस्तान के गाह गांव में हुआ था डा. मनमोहन सिंह का जन्म

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब के गाह गांव में हुआ था। 1947 के बंटवारे के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान में अपना पैतृक घर और दोस्तों को छोड़कर भारत आ गया।

बचपन की दोस्ती और बंटवारे का दर्द

डॉ. मनमोहन सिंह और राजा मोहम्मद अली, जो उन्हें प्यार से ‘मोहना’ बुलाते थे, बचपन में बेहद घनिष्ठ मित्र थे। दोनों एक ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। बंटवारे ने इन दोस्तों को जुदा कर दिया था। मनमोहन सिंह भारत आ गए थे तो राजा मोहम्मद का परिवार पाकिस्तान में ही रह गया था।

कैसे हुई वर्ष 2008 में दोनों की मुलाकात?

2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह की सफलता की कहानी पाकिस्तान के उनके गांव गाह तक पहुंची। ये कहानी सुनकर उनके दोस्त राजा मोहम्मद अली बहुत खुश हुए। उसी के बाद राजा अली ने अपने दोस्त से मिलने की इच्छा जताई और मई 2008 में वह डा. मनमाेहन सिंह से मिलने भारत आए और दिल्ली में उनकी मुलाकात हुई। जहां अपने बचपन के दोस्त को देखकर मनमोहन सिंह की आंखे डबडबा आईं थीं। 

गांव की मिट्टी-पानी और ये एक चीज लेकर पाकिस्तान से आया था दोस्त

इस दौरान, राजा अली अपने साथ गाह गांव की मिट्टी, पानी और वहां की तस्वीर लेकर आए। उन्होंने डॉ. सिंह को 100 साल पुराना शॉल और उनकी पत्नी गुरशरण कौर के लिए कढ़ाईदार सलवार कमीज भी भेंट की। डॉ. सिंह ने उन्हें पगड़ी, शॉल और एक टाइटन घड़ी का सेट दिया।

दोस्त की विदाई 

इन दो दोस्तों की इस मुलाकात के दो साल बाद वर्ष 2010 में राजा मोहम्मद अली का पाकिस्तान के चकवाल जिले में निधन हो गया। यह पुनर्मिलन न केवल भारत और पाकिस्तान की दोस्ती का प्रतीक था, बल्कि यह बंटवारे की कड़वाहट के बावजूद इंसानी रिश्तों की ताकत को भी दर्शाता है। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन उनकी सादगी, कुशल नेतृत्व और गहरी दोस्ती के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

 

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