हैरेसमेंट का आरोप काफी नहीं...अतुल सुभाष सुसाइड केस के बीच सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उकसावे के सबूत आवश्यक हैं। इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में उनकी पत्नी निकिता और परिवार पर गंभीर आरोप लगे हैं। पूरी खबर पढ़ें।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि केवल उत्पीड़न के आरोप आत्महत्या के लिए उकसाने के दोष के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषसिद्धि के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उकसावे के स्पष्ट सबूत होना अनिवार्य है।

एआई इंजीनियर ने पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर किया सुसाइड

यह आदेश 34 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ अतुल सुभाष की आत्महत्या से जुड़े विवाद के बीच आया है। अपने 81 मिनट के वीडियो और 24 पन्नों के सुसाइड नोट में अतुल ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार पर उत्पीड़न और जबरन वसूली का आरोप लगाया था। इस आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने निकिता और उसके परिवार के तीन अन्य सदस्यों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है।

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सजा के लिए ठोस सुबूत होना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने मृतक को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने का प्रत्यक्ष कार्य किया।" अदालत ने जोर देकर कहा कि केवल उत्पीड़न या क्रूरता के आरोप आत्महत्या के मामले में दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में किया बरी

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष को आरोपी द्वारा सक्रिय या प्रत्यक्ष कार्रवाई का प्रदर्शन करना चाहिए, जिसके कारण मृतक ने आत्महत्या कर ली। गुजरात मामले में, अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी को बरी कर दिया, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत आरोप को बरकरार रखा, जो एक महिला के खिलाफ उसके पति या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा क्रूरता से संबंधित है।

पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने कहा कि महिला ने 2009 में शादी की थी और शादी के बाद 5 साल तक दंपति को कोई बच्चा नहीं हुआ। इस कारण से उसे कथित तौर पर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। 2021 में उसने आत्महत्या कर ली और उसके पिता ने उसके पति और ससुराल वालों पर उकसाने और क्रूरता का आरोप लगाया। सत्र न्यायालय ने दोनों मामलों के तहत उनके खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया और उच्च न्यायालय ने इसे बरकरार रखा। हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा, "किसी व्यक्ति पर इस धारा (306) के तहत आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि आरोपी ने मृतक द्वारा आत्महत्या के कृत्य में योगदान दिया था।"

अतुल सुभाष के मामले में पत्नी समेत तीन के खिलाफ दर्ज है FIR

अतुल सुभाष मामले में उनकी पत्नी निकिता और परिवार के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में दावा किया कि निकिता की मां निशा और भाई अनुराग ने उसे बार-बार परेशान किया। बेंगलुरु पुलिस ने इस मामले में निकिता, उसकी मां निशा, भाई अनुराग और चाचा सुशील सिंघानिया को आरोपी बनाते हुए जांच शुरू कर दी है।

गुजरात का मामला 

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश गुजरात हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती देते हुए आया, जिसमें एक व्यक्ति और उसके परिवार को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से राहत देने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी की मृत्यु के मामलों में अदालत को साक्ष्य का गहन परीक्षण करना चाहिए ताकि यह पता चले कि उत्पीड़न ने पीड़ित को आत्महत्या के लिए मजबूर किया या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल अतुल सुभाष मामले बल्कि अन्य आत्महत्या के मामलों में न्याय प्रक्रिया को नई दिशा दे सकता है।

 

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