हरियाणा के फतेहाबाद के दो बेटियों की शादी की कहानी भावुक कर देनी वाली है। शादी में ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म निभाने वाला कोई नहीं था, पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी। मॉं के कंधों पर बेटियों की शादी की जिम्मेदारी थी।
फतेहाबाद। हरियाणा के फतेहाबाद के दो बेटियों की शादी की कहानी भावुक कर देनी वाली है। शादी में ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म निभाने वाला कोई नहीं था, पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी। मॉं के कंधों पर बेटियों की शादी की जिम्मेदारी थी। परिवार के सामने बड़ा सवाल यह था कि भात भरने की रस्म कौन निभाएगा। दुखी मॉं ने अपने भाई की समाधि पर ही टीका लगाकर न्यौता दे दिया। यह देखकर गांव वाले भावुक हो गए और बेटियों के भात भरने की रस्म निभाने का फैसला लिया। अचानक शादी में बेटियों के ननिहाल के गांव के 700 लोग पहुंचे और भात भरने की रस्म को पूरा किया। यह देखकर सभी के आंखों में आंसू छलक आए। भावुक कर देने वाली इस शादी की पूरे प्रदेश में चर्चा है।
मीरा के मायके में कोई नहीं बचा, पति भी नहीं रहे
फतेहाबाद के भट्टूकलां क्षेत्र के गांव जांडवाला बागड़ में महाबीर माचरा के साथ मीरा का विवाह हुआ था। उनके पिता जोराराम बेनीवाल राजस्थान के पास स्थित गांव नेठराना के रहने वाले थे। मीरा के पति महाबीर माचरा और उनके पिता का देहांत हो गया। अब घर में अकेली सिर्फ मीरा ही बची थी। यहां तक तो गनीमत थी। समय के साथ मीरा के मायके में भी कोई नहीं बचा। उनके पिता जोराराम का भी निधन हो गया। इकलौता भाई संतलाल जीवित था। पर उसकी शादी नहीं हुई थी। वह संत बन गया था। बीतते समय के साथ्ज्ञ भाई की भी मौत हो गई और गांव में उनकी एक समाधि बना दी गई थी।
गांव से महिलाएं भी आईं, लगाया टीका
मीनू और सोनू मीरा की दो बेटियां हैं। मीरा ने ही उनका लालन पालन किया है और अब उनकी शादी तय कर दी थी, जो जिले के जांडवाला बागड़ गांव में हो रही थी। विवाह के दौरान भात भरने की रस्में भी निभाई जाती हैं। पर बेटियों के ननिहाल में कोई जीवित नहीं बचा था, जो भात भरने की रस्म पूरा करने आ सके तो मीरा नेठराना गांव स्थित अपने भाई की समाधि पर पहुंच गईं और टीका लगाकर भात भरने का न्यौता दिया। यह देखकर पूरा गांव भावुक हो गया और बेटियों की शादी में पूरा गांव भात भरने की रस्म निभाने उमड़ पड़ा। गांव के पुरुष और महिलाओं समेत 700 लोग समारोह में पहुंचे तो देखने वाले दंग रह गए। सबकी आंखों से आंसू निकल रहे थे और फिर बुधवार देर रात लड़कियों ने दूल्हों के साथ सात फेरे लिए और शादी के बंधन में बंध गईं।
क्या है भात की रस्म?
शादी में भात भरने की एक रस्म होती है, जिसे दूल्हा या दुल्हन के ननिहाल पक्ष के लोग यानि दूल्हे या दुल्हन के मामा निभाते हैं। रस्म में मामा शादी से पहले भांजे या भांजी की थाल सजाकर पूजा करते हैं। फिर उन्हें टीका लगाकर पैसे व सामान का कुछ शगुन देते हैं। शादी की रस्में उसके बाद शुरु होती हैं।
10 लाख का चढावा चढा, पांच घंटे लगें
इस शादी में ननिहाल पक्ष से करीब 700 लोग पहुंचे। सभी ने बेटियों की अलग-अलग रस्में निभाई। इन रस्मों में करीब 10 लाख का चढ़ावा चढ़ा। बेटियों को टीका लगाने में लगभग पांच घंटे लग गए।