
हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की मौत का मामला अब नए विवाद में घिर गया है। परिवार ने चंडीगढ़ पुलिस पर आरोप लगाया है कि बिना अनुमति के अधिकारी का शव पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) भेज दिया गया। परिवार का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं दी गई।मृतक अधिकारी के साले और आम आदमी पार्टी के विधायक (बठिंडा ग्रामीण) अमित रत्तन ने कहा, “चंडीगढ़ पुलिस ने बिना परिवार की सहमति के शव को शिफ्ट कर दिया है। यह परिवार के साथ अन्याय है।”
अधिकारी की मौत के चार दिन बाद, हरियाणा सरकार ने शनिवार को मामले में पहली कार्रवाई करते हुए रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया का तबादला कर दिया और उनकी जगह सुरेंद्र सिंह भोरिया को नियुक्त किया। बिजारनिया, जो 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, उन अधिकारियों में शामिल थे जिनके नाम पूरन कुमार की जेब से मिले “अंतिम नोट” में दर्ज हैं।
यह भी पढ़ें: IPS Y Puran Kumar केस में हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, टेंशन में राज्य के अफसर!
मामले ने अब संवैधानिक मोड़ ले लिया है। पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस प्रकरण पर स्वतः संज्ञान (suo motu) लेते हुए चंडीगढ़ डीजीपी सागर प्रीत हूडा से रिपोर्ट मांगी है।
डीजीपी सागर प्रीत हूडा ने शनिवार को मृतक की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार के निवास पर जाकर परिवार से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने परिवार से आग्रह किया है कि पोस्टमार्टम जल्द कराया जाए। हूडा ने स्पष्ट किया, “पोस्टमार्टम केवल परिवार की सहमति मिलने के बाद ही किया जाएगा।” जब उनसे पूछा गया कि परिवार अब तक सहमति क्यों नहीं दे रहा है, तो उन्होंने कहा कि परिवार के कुछ गंभीर शिकायतें हैं।
डीजीपी हूडा ने बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया है। पोस्टमार्टम के लिए मैजिस्ट्रेट, फोरेंसिक विशेषज्ञों और डॉक्टरों का एक बोर्ड बनाया गया है, जो पीजीआईएमईआर में जांच करेगा।
इससे पहले शुक्रवार को अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ एसएसपी कंवरदीप कौर को पत्र लिखकर एफआईआर में संशोधन की मांग की थी। उन्होंने कहा कि एफआईआर में सभी आरोपित अधिकारियों के नाम सटीक रूप से दर्ज किए जाएं और एससी/एसटी एक्ट की कमजोर धाराओं को हटाकर उचित धाराएं जोड़ी जाएं।
मृतक आईपीएस वाई. पूरन कुमार के पास से मिले आठ पृष्ठों के “फाइनल नोट” में आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम दर्ज हैं। इनमें हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। नोट में दावा किया गया है कि इन अधिकारियों ने मिलकर कुमार को “मानसिक रूप से प्रताड़ित” किया और उनकी छवि को “खराब करने की कोशिश” की।
पूरन कुमार की रहस्यमयी मौत के बाद से ही प्रशासनिक हलकों में हलचल है। अब जब परिवार ने पुलिस पर “मनमानी और संवेदनहीनता” के आरोप लगाए हैं, मामला और अधिक संवेदनशील हो गया है। सूत्रों के अनुसार, हरियाणा सरकार मामले की निगरानी कर रही है और जांच की रिपोर्ट जल्द मांगी जा सकती है।
यह भी पढ़ें: IPS Y Puran Kumar Case : कौन हैं IPS सुरेंद्र सिंह भोरिया? बने रोहतक के नए SP
हरियाणा की राजनीति, कृषि-किसान मुद्दे, खेल उपलब्धियां, शिक्षा-रोजगार अपडेट्स और जिले-वार खबरें अब तुरंत पाएं। गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक समेत पूरे राज्य की रिपोर्टिंग के लिए Haryana News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद खबरें Asianet News Hindi पर।