रामायण नगरी अयोध्या के बाद गीता नगरी कुरुक्षेत्र पहुंचे मोदी, जानिए अद्भुत संयोग

Published : Nov 25, 2025, 07:00 PM IST
PM narendra modi visits Kurukshetra

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामायण की नगरी अयोध्या के बाद सीधे गीता नगरी कुरुक्षेत्र पहुंचे। पीएम ने यहां श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर एक सिक्का जारी किया। साथ ही एक 6 साल पहले का सयोंग भी बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में धर्म ध्वजा फरहाने के बाद यहां सीधे हरियाणा के कुरूक्षेत्र पहुंचे। जहां पीएम ने पाञ्चजन्य शंख स्मारक का शुभारंभ किया। इसके बाद PM श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर हो रहे समागम में पहुंचे। यहां पीएम ने शहीदी दिवस पर के मौके पर एक सिक्का जारी किया साथ ही जनसभा को भी संबोंधित किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया।

रामायण की नगरी अयोध्या के बाद गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हूं

पीएम ने कहा-आज का दिन भारत की विरासत का अद्भुत संगम बनकर आया है। आज सुबह मैं रामायण की नगरी अयोध्या में था और अब मैं यहां गीता की नगरी कुरुक्षेत्र में हूं। यहां हम सभी श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर उन्हें नमन कर रहे हैं। इस आयोजन में हमारे बीच जो संत मौजूद हैं, जो सम्मानित संगत उपस्थित है, मैं आप सभी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।

पीएम ने बताया 6 साल पहले का एक अद्भुत संयोग

पीएम ने कहा- 5-6 साल पहले एक और अद्भुत संयोग बना था। साल 2019 में 9 नवंबर को जब राम मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आया था, तो उस दिन मैं करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में था। मैं यही प्रार्थना कर रहा था कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, करोड़ों रामभक्तों की आकांक्षा पूरी हो। और हम सभी की प्रार्थना पूरी हुई, उसी दिन राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया।

पीएम ने कहा-धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है

  • पीएम ने कहा- 'स्वधर्मे निधनं श्रेयः' अर्थात सत्य के मार्ग पर अपने धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना और इस धर्म की रक्षा उन्होंने अपने प्राण देकर की। ब आज जब अयोध्या में धर्म ध्वजा की स्थापना हुई है, तो फिर मुझे सिख संगत से आशीर्वाद लेने का मौका मिला है। अभी कुछ देर पहले कुरुक्षेत्र की भूमि पर पांचजन्य स्मारक का लोकार्पण भी हुआ है। कुरुक्षेत्र की इसी धरती पर खड़े होकर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था।
  • इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत सरकार ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के चरणों में एक स्मृति डाक टिकट और विशेष सिक्का भी समर्पित करने का सौभाग्य पाया है। मेरी कामना है कि हमारी सरकार गुरु परंपरा की इसी तरह निरंतर सेवा करती रहे।

पीएम ने बताया कैसा था श्री गुरुतेग बहादुर जी का जीवन

  • पीएम बोले- श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन, उनका त्याग, उनका चरित्र बहुत बड़ी प्रेरणा है। मुगल आक्रांताओं के उस काल में, गुरु साहिब ने वीरता का आदर्श स्थापित किया। इसलिए, उनका मन तोड़ने के लिए, गुरु साहिब को पथ से डिगाने के लिए उनके सामने उनके तीन साथियों भाई दयाला जी, भाई सतीदास जी, भाई मतिदास जी की निर्ममता से हत्या की गई। लेकिन, गुरु साहिब अटल रहे, उनका संकल्प अटल रहा। उन्होंने धर्म का रास्ता नहीं छोड़ा। तब की अवस्था में गुरु साहिब ने अपना शीश धर्म की रक्षा को समर्पित कर दिया।इन वाक्यों में श्री गुरु तेग बहादुर जी की निडरता की पराकाष्ठा थी।
  • इसके बाद जिसकी आशंका थी, वही हुआ। उस क्रूर औरंगजेब ने गुरु साहिब को बंदी बनाने का आदेश दिया। लेकिन, गुरु साहिब ने खुद दिल्ली जाने की घोषणा कर दी। मुगल शासकों ने उन्हें प्रलोभन भी दिए, लेकिन श्री गुरु तेग बहादुर मुगल आक्रांताओं के उस काल में कश्मीरी हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा था।
  • इस संकट के बीच पीड़ितों के एक दल ने गुरु साहिब से सहयोग मांगा। तब श्री गुरु साहिब ने उन पीड़ितों को जवाब दिया था कि आप सब औरंगजेब को साफ-साफ कह दें कि यदि श्री गुरु तेग बहादुर इस्लाम स्वीकार कर लें,तो हम सब इस्लाम अपना लेंगे।

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