जानिए क्या है मनरेगा घोटाला? विदेश में बैठे लोग खा रहे हैं सरकारी माल

कैथल में मनरेगा घोटाले का पर्दाफाश, विदेश में रहने वालों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर सरकारी पैसे की लूट। शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं।

कैथल। मनरेगा घोटाले से जुड़े कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हरियाणा के नूंह जिले के बाद अब कैथल भी इस घोटाले की चपेट में आ गया है। यहां पर उन लोगों के फर्जी जॉब कार्ड बनाकर सरकार से पैसे लुटे जा रहे हैं जोकि विदेश में रहते हैं। अधिकारियों और मनरेगा मेट की मिलीभक्त के आधार पर ये काम किया जा रहा है।

विदेशों में भेजा जा रहा है मनरेगा का पैसा

इस मामले में शिकायकर्ता अमरीक सिंह ने आरोप लगाया कि उसने कई महीने पहले इस मामले में शिकायत की थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनके गांव ककराला अनायत के गरीब लोगों को मनरेगा नहीं दिया गया। जबकि उन लोगों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बना दिए गए जोकि जर्मनी, पुर्तगाल, मलेशिया, फ्रांस और इटली समेत बाकी विदेशों में रह रहे हैं। हैरानी वाली बात ये है कि असल में जिन लोगों का काम मिला है, उनकी संख्या 40 के करीब है। जबकि कार्ड 328 बने हैं। ये घोटला पीछे 2022 से चल रहा है। शिकायकर्ता ने अपनी बात में कहा,'मैंने इसकी शिकायत जुलाई महीने में डीसी और सीएम विंडो पर की थी, लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी मेरी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।'

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क्या है मनरेगा और उससे जुड़ी खास बातें

आइए जानते हैं क्या है मनरेगा, जिसके चलते हो रहा है, इतना बड़ा घोटला। मनरेगा योजना की शुरुआत 2 फरवरी 2006 पर हुई थी। मनरेगा की फुल फॉर्म है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम। ये भारत की एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसके चलते कम से कम 100 दिनों के लिए मजदूरी देकर आजीविका सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह अधिनियम ग्रामीण लोगों के काम की शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था। वेतन वृद्धि 7 रुपये से 26 रुपये प्रतिदिन कर दी गई है। जो 2 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की वृद्धि है।

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