Suicide in Talangana: इंटरमीडिएट के परिणाम के बाद 6 स्टूडेंट्स ने दी जान, सुसाइड करने वालों में तीन छात्राएं

तेलंगाना में इंटरमीडिएट का रिजल्ट निकलने के बाद 6 स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया। आत्महत्या करने वालों में तीन छात्राएं और तीन छात्र शामिल हैं।

तेलंगाना। प्रदेश की राजधानी में इंटरमीडिएट का रिजल्ट निकलने के बाद काफी शॉकिंग खबरें सामने आ रही हैं। इंटर के रिजल्ट के बाद हैदराबाद में 6 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या कर ली है। इनमें तीन छात्राएं और तीन छात्र शामिल हैं। घटना के बाद से घर में मातम छाया हुआ है। 

तेलंगाना बोर्ड की ओर से 9 मई को 11वीं और 12वीं के नतीजे घोषित किए गए थे। इसके 24 घंटे के बाद ही एक के बाद एक सुसाइड के 6 मामले सामने आए हैं. तीन लड़के और तीन लड़कियों ने रिजल्ट आने के बाद आत्मघाती कदम उठा लिए। स्टूडेंट्स के इस कदम से पैरेंट्स भी हैरान हैं। इनमें पांच मौतें हैदराबाद में और एक निजामाबाद में हुई है।

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 पुलिस की माने तो हैदराबाद के वनस्थलीपुरम में 17 वर्षीय लड़की ने घर में ही अपने कमरे में सुसाइड कर लिया। रायदुर्गम इलाके में  एक 16 वर्षीय लड़की ने भी इंटर का परिणाम आने के बाद अपनी जान दे दी। पंजागुट्टा में इंटरमीडिएट के द्वितीय वर्ष के छात्र ने भी मौत को गले लगा लिया। नेरेडमेट और सैफाबाद में मंगलवार को इंटरमीडिएट के द्वितीय वर्ष के दो स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया। निजामाबाद के अरमूर में परीक्षा में फेल होने  पर इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष के छात्र ने सुसाइड कर लिया।

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नंबर अच्छे न आने के डर से दी जान
अप्रैल में भी तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में एक सरकारी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले एक आदिवासी छात्र ने भी आत्मघाती कदम उठा लिया था। एमबीबीएस सीट हासिल करने के लिए पर्याप्त अंक प्राप्त नहीं कर पाने के डर से उसने आत्महत्या कर ली। गुगोलोथ कृष्णा ने अपनी इंटरमीडिएट परीक्षा में 1,000 में से 892 अंक प्राप्त किए। करीब दो हफ्ते पहले आंध्र प्रदेश में कक्षा 11 और 12 के परिणाम घोषित होने के 48 घंटों के भीतर नौ छात्रों ने सुसाइड कर लिया था।

तेलंगाना में रिजल्ट आने पर मौतों का सिलसिला
इंटरमीडिएट परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद हर साल तेलंगाना में छात्रों के सुसाइड घटनाएं होती रही हैं। दिसंबर 2021 में छह छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु के बाद सरकार ने सभी छात्रों को पास घोषित कर दिया था ताकि वे तनाव में न रहें और इंटरमीडिएट अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल हो सकें। कोविड के बाद सभी को अस्थायी रूप से इंटरमीडिएट द्वितीय वर्ष में पदोन्नत कर दिया गया था और अक्टूबर में परीक्षा आयोजित की गई जिसमें 51 प्रतिशत फेल हो गए थे।

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