शिमला में भूस्खलन में परिवार के 7 लोगों की मौत के बाद शव के इंतजार में परिजन, अंतिम संस्कार करने की इच्छा

इस मानसून में हिमाचल प्रदेश में बारिश संबंधी घटनाओं ने 60 से अधिक लोगों की जान चली गई है। यहां एक ही परिवार के 7 लोगों की जान चली गई है। वे अब उनके शव मिलने का इंतजार कर रहे ताकि उनका अंतिम संस्कार कर सकें।

Yatish Srivastava | Published : Aug 17, 2023 2:59 PM IST

शिमला। शिमला में भूस्खलन में अपने परिवार के 7 लोगों यानी कुल तीन पीढ़ियों को खोने वाले परिजन अब इसका इंतजार कर रहे हैं कि राहत दल के उनके परिजनों को शव ढूंढ दें। वे अपने तीनों बच्चों का अंतिम संस्कार करना चाहते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं।  

भूस्खलन के दौरान तीन बच्चों समेत परिवार के 7 सदस्य थे मंदिर में
सोमवार को बादल फटने से हुए भूस्खलन के कारण जब मंदिर ढहा तो उस दौरान तीन बच्चों सहित परिवार के कुल सात सदस्य अंदर ही थे। हादसे में जान गंवाने वाले परिवार के व्यक्ति पवन के भाई विनोद ने बताया, मेरा भाई, तीन बच्चे, भाभी, एक बेटी समेत 5 अन्य लोग काल के गाल में समा गए। राहत दल उनके शवों को तलाशने का प्रय़ास कर रहा है। मैं उनका अंतिम संस्कार करना चाहता हूं"। दो शव अभी नहीं मिले हैं।  

घटना के बाद से टूट गया परिवार
घटना के बाद अपने घर में बैठा परिवार इस कभी न पूरे हो पाने वाले नुकसान से टूट चुका है। पवन की बहन जो घटना के दौरान शिमला में नहीं थी, वह कहती है कि परिवार के सदस्यों में से एक ने उसे फोन कर यह दुखद समाचार दिया। उसने कहा कि शिमला जाने वाली सड़कें भी बाधित हैं। 

बहन ने बताई आप बीती
पवन की बहन ने कहा कि ''हम सिर्फ अपने भाई और अन्य लोगों का शव ढूंढना चाहते हैं। परिवार के 7 सदस्यों को हमने खो दिया है। वे मुझसे यहां आने के लिए कह रहे थे,' लेकिन मैं नहीं आई। शायद मेरी किस्मत में अभी मरना नहीं लिखा था। वे मंदिर गए, फिर कभी वापस नहीं लौटने के लिए। मैं बस अपने भाई का शव लेना चाहती हूं, ताकि हम उनका अंतिम संस्कार कर सकें।

जानलेवा मानसून, 60 जिंदगियां खत्म
इस मानसून हिमाचल प्रदेश में बारिश संबंधी घटनाओं ने 60 से अधिक लोगों की जान ले ली है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य को पर्यावरण और संपत्ति क्षति और हताहतों के कारण 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पोंग बांध के पास कांगड़ा में निचले इलाकों से बुधवार को 800 से अधिक लोगों को निकाला गया क्योंकि जलाशय में जल स्तर बढ़ने के कारण गांव दुर्गम हो गए थे।

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