Online Financial Fraud Case In Gujarat: अकेले UPI से ठगी के 70 फीसदी मामले, ठग उठाते हैं इसका लाभ

Published : Mar 12, 2023, 01:30 PM ISTUpdated : Mar 12, 2023, 01:31 PM IST
Ahmedabad news 70 percent complaints about online financial scams through upi payment in past year In Gujarat

सार

देश में यूपीआई (UPI) सबसे पसंदीदा आनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में पसंद किया जाता है। चाहे आपको चायवाले को 10 रुपये का भुगतान करना हो या फिर पेट्रोल पम्प पर तेल के लिए 100 रुपये का।

अहमदाबाद। देश में यूपीआई (UPI) सबसे पसंदीदा आनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में पसंद किया जाता है। चाहे आपको चायवाले को 10 रुपये का भुगतान करना हो या फिर पेट्रोल पम्प पर तेल के लिए 100 रुपये का। मौजूदा समय में ज्यादातर लोग भुगतान के समय जेब से पैसा निकालने के बजाए अपना मोबाइल निकालते हैं और क्यूआर कोड स्कैन कर पल भर में पेमेंट कर देते हैं।

यह तस्वीर का सुखद पहलू है, दूसरी ओर साइबर फ्राड करने वाले ठगी के लिए इसका लाभ उठाते हैं। यही वजह है कि मौजूदा समय में यूपीआई से ठगी के मामलों में बढोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले एक साल में अकेले गुजरात में यूपीआई से धोखाधड़ी की 70 फीसदी शिकायतें दर्ज की गई हैं।

अलग-अलग शहरों में दर्ज की गईं शिकायतें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जनवरी 2022 से 2 फरवरी 2023 के बीच गुजरात सीआईडी (अपराध) को 88 हजार साइबर क्राइम की शिकायतें 1930 हेल्पलाइन पर मिलीं। 78,005 नागरिकों ने आनलाइन ठगी की शिकायत दर्ज करने के लिए कॉल किया था। उनमें से 52,575 यानि 70 फीसदी मामले यूपीआई धोखाधड़ी के थे। अहमदाबाद शहर में 12,581, सूरत में 6,471, वडोदरा में 3,936 और राजकोट में 1,879 मामले दर्ज किए गए।

ठगी के लिए अपनाते हैं ये हथकंडे

अधिकारियों का कहना है कि जालसाज ठगी के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। एसएमएस फिशिंग के अलावा स्क्रीन मिररिंग ऐप से धोखाधड़ी की जाती है। पीड़ितों से बहाना बनाकर ओटीपी पिन मांगकर भी फ्रॉड किया जाता है। ठग एसएमएस के जरिए एक लिंक भेजते हैं या कोई ऐसा URL भेजते हैं, जो बैंक के URL की तरह दिखाई देता है। ऐसे लिंक पर क्लिक करने से पीड़ित ठगी के शिकार हो जाते हैं।

ओटीपी सिर्फ पैसों के भुगतान के लिए

फर्जी URL पर क्लिक करने से फोन वायरस या मैलवेयर से भी प्रभावित हो सकता है, ऐसे वायरस आपकी जानकारी चुराने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ठग बैंक प्रति​निधि बनकर भी पीड़ितों से उनके बैंक खातों की डिटेल प्राप्त कर लेते हैं। लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि ओटीपी की जरुरत सिर्फ पैसों के भुगतान के लिए होती है न कि पैसों को प्राप्त करने के लिए।

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