फ्रांस से लौटे अंकल ने लगाई सिक्का कलेक्शन की ऐसी लत, शादी के बाद श्रीमतीजी भी पतिदेव के शौक में हाथ बटाने लगीं

ये हैं पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के रहने वाले अपूर्बा चौधरी। इन्हें बचपन से ही पुराने देशी-विदेशी सिक्कों के कलेक्शन का शौक रहा है। इनके कलेक्शन में प्राचीन सिक्कों की एक सीरिज और भारत के स्वतंत्रता-पूर्व और बाद के कई सिक्के शामिल हैं। 

Amitabh Budholiya | Published : Mar 31, 2023 7:38 AM IST / Updated: Mar 31 2023, 01:09 PM IST

कूचबिहार. ये हैं पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के रहने वाले अपूर्बा चौधरी। इन्हें बचपन से ही पुराने देशी-विदेशी सिक्कों के कलेक्शन का शौक रहा है। इनके कलेक्शन में प्राचीन सिक्कों की एक सीरिज और भारत के स्वतंत्रता-पूर्व और बाद के कई सिक्के शामिल हैं। उनका जुनून एक पहचान बन गया है।

यह अलग बात है कि अर्पूबा चौधरी अब तक किसी भी एग्जिबिशंस में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि आने वाली पीढ़ियां उनके दुर्लभ सिक्कों को देखकर ही इतिहास में झांक सकती हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपूर्बा चौधरी ने कहा कि बहुत समय पहले उनके एक अंकल फ्रांस पढ़ने गए थे। जब वे भारत लौटे, तो वह कुछ फ्रांसीसी सिक्के लेकर आए थे। उनमें से उन्हें भी कुछ सिक्के दिए। यह घटना करीब 35 साल पुरानी है। तब से अपूर्वा चौधरी को इन सिक्कों को इकट्ठा करने की लत पड़ गई।

वह अभी भी नियमित रूप से नए सिक्के जमा कर रहा है। अपूर्वा ने कहा कि उनके कलेक्शन में कई हजार दुर्लभ सिक्के शामिल हैं। न केवल भारत से, बल्कि उनके संग्रह में फ्रांस, भूटान और श्रीलंका के सिक्के भी शामिल हैं।

चौधरी की पत्नी रत्ना बासक चौधरी ने कहा, "शादी के बाद से मैं इन सिक्कों को इकट्ठा करने के उनके जुनून को देख रही हूं।"

हालांकि सिक्के जमा करना चौधरी का शौक है, फुल टाइम जॉब नहीं। वे एक व्यवसायी हैं, इसलिए सारा समय सिक्कों को संभालने में नहीं लगा सकते हैं। रत्ना अपने पति के अनोखे शौक में उनकी मदद करती हैं। वह अपने पति के जुनून को लगातार प्रोत्साहित भी करती हैं। लोग उन्हें कॉइन मेन कहने लगे हैं। अपूर्बा चौधरी मानते हैं कि उनका सिक्का संग्रह अगली पीढ़ी के लिए फायदेमंद होगा।

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