गौर से देखिए इन दो सरकारी कर्मचारियों को: कभी देखा है कि रिश्वत लेते कैसे रंगे हाथ पकड़े जाते हैं भ्रष्टाचारी? ऐसे हाथ दबोच लेते हैं

सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय, असम की टीम ने दो सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। गिरफ्तार सरकारी कर्मचारियों की पहचान कनक चंद्र बरुआ और दिलीप बोराह  के रूप में की गई है।

गुवाहाटी. सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय, असम(Directorate of Vigilance and Anti-Corruption) की टीम ने 10 मार्च को दो सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। गिरफ्तार सरकारी कर्मचारियों की पहचान कनक चंद्र बरुआ (लाट मंडल, राजस्व मंडल अधिकारी कार्यालय, कलईगांव) और दिलीप बोराह (गांवबुराह ग्राम प्रधान) के रूप में की गई है।

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असम पुलिस के सीपीआरओ राजीब सैकिया ने कहा कि उदलगुरी जिले के कलईगांव के रेवेन्यु सर्किल अधिकारी लाट मंडल के कनक चंद्र बरुआ पर आरोप लगाया गया है कि वह नंबर 1 अमगुरी, कलईगांव के गांवबुराह दिलीप बोरा के साथ साजिश रच रहे हैं। शिकायतकर्ता के भूमि नामांतरण दस्तावेजों के लैंड म्यूटेशन के लिए 10,000 रुपये रिश्वत की मांग की थी।

राजीब सैकिया ने कहा-“बाद में रिश्वत की राशि घटाकर 5,000 रुपये कर दी गई। सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने के लिए शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने के लिए निदेशालय से संपर्क किया था।”

असम पुलिस के सीपीआरओ ने कहा कि 10 मार्च को उदलगुरी जिले के कलाइगांव के राजस्व सर्किल अधिकारी के कार्यालय में जाल बिछाया गया। दिलीप बोरा, गांवबुराह को शिकायतकर्ता से मांगी गई रिश्वत के हिस्से के रूप में 4,500 रुपये स्वीकार करने के तुरंत बाद रंगे हाथ पकड़ा गया। दागी रिश्वत की रकम उसके कब्जे से बरामद कर ली गई है और स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में राशि जब्त की गई।

इसी ट्रैप ऑपरेशन में कनक चंद्र बरुआ, लाट मंडल को भी रिश्वत मांगने और गांवबुराह के साथ रिश्वतखोरी की साजिश रचने के आरोप में पकड़ा गया। इसके बाद, दोनों को टीम ने पर्याप्त सबूत मिलने के बाद गिरफ्तार कर लिया है। एसीबी थाने में 10 मार्च को प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट की धारा 120(बी) आईपीसी, 7(ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

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