ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट को गुजरे बेशक एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन अपनों को खोने वाली फैमिली अभी भी परेशान हैं। जिन शवों को लेकर अब तक कोई क्लेम नहीं हुआ, उन्हें भुवेश्वर के एम्स में रखा गया है।
भुवनेश्वर. ओडिशा ट्रेन हादसा लगातार मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है। एक्सीडेंट को गुजरे बेशक एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन अपनों को खोने वाली फैमिली अभी भी परेशान हैं। वे अस्पतालों में अपने लापता परिजनों की तलाश में लाशों की शिनाख्त करते देखी जा सकती हैं। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में 288 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 1000 से अधिक घायल हैं। जिन शवों को लेकर अब तक कोई क्लेम नहीं हुआ, उन्हें भुवेश्वर के एम्स में रखा गया है। जो लाशें क्षत-विक्षत हो चुकी हैं, उन्हें DNA टेस्ट से आइडेंटिफाई किया जाएगा।
बालासोर ट्रेन हादसे के बाद की इमोशनल तस्वीर
ये तस्वीर ओडिशा-बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों की फैमिली की तकलीफें दिखाने के लिए काफी है। शवों को बालासोर के 6 अस्पतालों में रखा गया। यहां अपने प्रियजन की लाश की शिनाख्त करने जैसे लाइन लगी हुई है। अस्पताल की स्टाफ एक बड़ी टीवी स्क्रीन पर लाशें दिखाकर उनकी पहचान करने को कह रहा है। ओडिशा के चीफ सेक्रेट्री पीके जेना के मुताबिक, बालासोर ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 288 हो चुकी है।
चीफ सेकेट्री के अनुसार सभी अज्ञात शवों को भुवनेश्वर के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस(AIIMS) में साइंटिफिकली प्रीजर्व्ड किया गया है। ये पहचान के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए उपलब्ध हैं। मृतकों के परिजनों की सहायता के लिए अस्पताल में एक हेल्पडेस्क भी स्थापित किया गया है। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि एम्स, भुवनेश्वर ने शवों की उचित पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग प्रक्रिया को अपनाया है।
कोरोमंडल ट्रेन हादसा कब और कैसे हुआ था?
कोरोमंडल एक्सप्रेस 2 जून को शाम 7 बजे एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसके अधिकांश डिब्बे पटरी से उतर गए। कोरोमंडल के कुछ डिब्बे बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के डिब्बों से टकरा गई, जो उसी समय वहां से गुजर रही थी। जांचकर्ता तीन ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे संभावित मानवीय त्रुटि, सिग्नल विफलता और अन्य संभावित कारणों की जांच कर रहे हैं।
कोरोमंडल ट्रेन हादसे का दर्दनाक मंजर
एक पीड़ित पिता ने बताया कि हादसे में उसके बेटे की मौत हो गई। उसके साथ तीन और भी लोग थे। इनमें से 2 जिंदा बच गए, जबकि एक अस्पताल में इलाज करा रहा है। पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे की पहचान हाथ में बंधे धागे से की। हालांकि अस्पताल मैनेजमेंट DNA रिपोर्ट आने के बाद ही बॉडी सौंपेगा।
अस्पताल में ऐसे कई लोग रोते-बिलखते देखे जा सकते हैं। वे भूखे-प्यासे बदहवास यहां-वहां भटक रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने अपन तरफ से अच्छे इंतजाम किए हैं, लेकिन अपनों को खोने के गम में लोग पागलों की तरह परेशान होकर भटक रहे हैं।
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