शातिर अपराधियों के कारनामे सुनकर आम आदमी क्या पुलिस भी दंग हो जा रही है। अब तमिलनाडु में फर्जी एसबीआई बैंक का खुलासा हुआ है। तीन शातिरों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है।
तमिलनाडु। देश भर में क्राइम के ग्राफ में कभी भी गिरावट नहीं देखने को मिली है। साइबर क्राइम के भी ढेरों मामले आए दिन सामने आते हैं। फर्जी अकाउंट बनाकर ठगी के कई मामले अब तक सामने आए हैं लेकिन इस बार तो शातिर दो कदम और आगे निकल गए हैं। इस बार शातिरों ने फर्जी अकाउंट नहीं, बल्कि फर्जी बैंक ही खोलकर लाखों का खेल कर दिया।
जानकर हैरान रह गए न! तमिलनाडु में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की फर्जी ब्रांच का खुलासा हुआ है। तीन शातिरों ने मिलकर एसबीआई की फर्जी ब्रांच ही खोल दी थी और लोगों के अकाउंट खोलकर पैसे भी जमा कर रहे थे। तीनों आरोपियों को फिलहाल गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों से इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देने के प्रोसेस के बारे में पूछताछ की जा रही थी।
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तीन महीने से चल रहा था फर्जी बैंक
तीनों आरोपियों के खिलाफ फर्जीवाड़ा का मुकदमा दर्ज करने के साथ पुलिस पूछताछ कर रही है। आरोपियों ने बताया कि पनरुति में एसबीआई की यह ब्रांच वह करीब तीन महीने से चला रहे थे। इस दौरान लोगों के अकाउंट खोलने के साथ ही पैसे जमा करना, लोन प्रोसेस आदि भी कर रहे थे। फर्जी पासबुक भी लोगों को जारी कर रहे थे।
फर्जीवाड़ा के मास्टर माइंड के माता-पिता पूर्व बैंककर्मी
फर्जीवाड़े के मास्टर माइंड कमल बाबू के माता-पिता दोनों ही पूर्व बैंक कर्मचारी थे। पिता की 10 साल पहले मौत हो चुकी है जबकि मां दो साल पहले रिटायर हुई है। आरोपी के दो और साथियों में एक का प्रिंटिंग प्रेस है और दूसरे का रबर स्टाम्प बनाने का काम है।
ग्राहक की सतर्कता से खुला राज
एसबीआई के एक ग्राहक ने जब पनरुतिल में एसबीआई की एक और शाखा देखी तो उसने अपनी ब्रांच में इसकी चर्चा की। ब्रान्च मैनेजर ने ऐसी किसी ब्रांच के बारे में जानकारी न होने की बात कही और मेन ब्रांच के मैनेजर से बात की। उन्होंने जांच कराई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और आरोपी गिरफ्तार करने के साथ ब्रांच सीज की गई।
प्रिंटिंग प्रेस में छपते थे बैंक कांगजात
शातिरों में एक का अपना प्रिंटिंग प्रेस था जिसमें वह बैंक से जुड़े कागजात जैसे जमा-निकासी पर्ची, अकाउंट खोलने के फॉर्म और अन्य डॉक्यूमेंट भी छपवाता था। बैंक की मुहर आदि भी बनवा रखी थी ताकि किसी को भी बैंक के फर्जी होने का शक न हो।