मुझे ऐसी डिग्री नहीं चाहिए, सीनियर्स कुत्तों जैसा बर्ताव करते हैं, वे मार डालेंगे, मेडिकल स्टूडेंट ने फेसबुक पोस्ट पर लिखी आपबीती

असम के सिलचर स्थित SMCH के एक छात्र द्वारा पब्लिकली कन्फेशन कि रैगिंग ने उसकी जिंदगी नरक बना दी है, से बवाल मच गया है। एक गुमनाम फेसबुक पोस्ट शेयर करने के बाद कई लोगों हैरान हैं। पोस्ट में कहा गया कि उसे कॉलेज में सीनियर्स परेशान कर रहे हैं।

सिलचर(Silchar). असम के सिलचर स्थित 'सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SMCH)' के एक छात्र द्वारा पब्लिकली कन्फेशन(public confession) कि रैगिंग ने उसकी जिंदगी नरक बना दी है, से बवाल मच गया है। एक गुमनाम फेसबुक पोस्ट शेयर करने के बाद कई लोगों हैरान हैं। पोस्ट में कहा गया कि उसे कॉलेज में सीनियर्स परेशान कर रहे हैं।

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लड़के ने अपनी पोस्ट में उल्लेख किया कि वह 'एक मजबूत लड़का हुआ करता था' लेकिन एसएमसीएच में शामिल होने और सीनियर PGs द्वारा लगातार रैगिंग का सामना करने के बाद उसका कॉन्फिडेंस गिर गया है।पोस्ट में लिखा गया-"मुझे लगता है कि मैं सबसे दयनीय व्यक्ति हूं। हां, मेरे सीनियर्स ने मेरे साथ ऐसा ही व्यवहार किया। मेरे पास इस टॉर्चर के बारे में बोलने की हिम्मत नहीं है। अगर उन्हें मेरी आवाज के बारे में पता चला, तो वे सचमुच मेरी हत्या कर देंगे।"

पोस्ट मे आगे लिखा गया-मैं मानसिक रूप से मर चुका हूं। और मेरा शरीर अब और साथ नहीं दे रहा है।"

मेडिकल छात्र ने कहा कि ईश्वर ने उसके साथ अन्याय किया है और वह इसके बारे में अपने माता-पिता को भी नहीं बता सकता।

अपने कठिन समय के बारे में बताते हुए उसने लिखा, “वे बिना किसी कारण के हम पर चिल्लाए। वे हम पर अपना फ्रस्टेशन निकालते हैं हमारे साथ कुत्तों की तरह व्यवहार करते हैं, मुख्य रूप से ऑर्थो, सर्जरी, ऑप्टा जैसी सर्जिकल ब्रांच में। हम सुबह 6:30 बजे से 12:30 बजे तक लगातार काम करते हैं। वे हमें समय पर खाना नहीं खाने देते। इसके अलावा हमारी पूरी नाइट ड्यूटी भी होती है। वे रोज चिल्लाते हैं, मरीजों के सामने, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स के सामने, दूसरों के सामने। हमें मौत पर शर्म आती है।"

पोस्ट में आगे लिखा गया-"उनकी डांट इतनी तेज होती है कि हमें परेशान होते देख लोग जमा हो जाते हैं। मैंने काफी समय बाद अपना फेसबुक खोला और इस पेज के बारे में जाना जो मदद करता है।"

अंतिम नोट पर मेडिकल स्टूडेंट ने कहा कि उसका सपना टूट गया है और वह वहां नहीं रहना चाहते हैं। "मुझे अपने जीवन के बदले में इस डिग्री की आवश्यकता नहीं है। मैं सिर्फ हमारे प्रिंसिपल सर डॉ. बीके बेजबरुआ सर को इस स्थिति से अवगत कराना चाहता हूं। क्या कोई एंटी रैगिंग कमेटी नहीं है? कोई है जो हमारी मदद कर सकता है? कोई है जो मेरी जान बचा सकता है?”

इस पोस्ट से कई लोग हैरान हैं। सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल बाबुल बेजबरुआ ने शिकायतकर्ता को उन्हें एक पत्र लिखने की सलाह दी। असम पुलिस के डीजीपी जीपी सिंह ने भी इस पोस्ट को गंभीरता से लेने की बात कही। ये पोस्ट उनके ट्विटर पर टैग की गई।

भारत के कॉलेजों में रैगिंग की बढ़ती घटनाओं तथा उनके घातक रिजल्ट को ध्‍यान में रखते हुये केंद्र सरकार ने रै‍गिंग को पूरी तरह बैन किया हुआ है जून 2009 में National Anti Ragging Helpline Number 1800 180 5522 शुरू किया गया था। जिस पर रैगिंग से पीड़ित कोई भी छात्र अपनी शिकायत 24×7 दर्ज करा सकता है। यह एक टोल फ्री नंबर है।

नेशनल एंटी रैगिंग हेल्‍पलाइन नंबर पर छात्र 12 भाषाओं में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। एक बार जब कोई छात्र इस नंबर पर शिकायत दर्ज करा देता है, तो Anti Ragging Complaint Register हो जाती है।

यूजीसी भारत में सभी कॉलेजों तथा यूनिवर्सिटीज में एंटी रैगिंग सेल का गठन अनिवार्य कर चुकी है। इसमें भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके बाद कॉलेज मैनेजमेंट को पुलिस में FIR दर्ज कराना होता है।

रैगिंग की शिकायत https://www.antiragging.in पर भी क्लिक करके दर्ज करा सकते हैं

 

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