मेनपॉवर और लेबर कॉस्ट को बचाने के लिए तेलंगाना के KITS के एक प्रोफेसर और उनके स्टूडेंट ने बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप यानी ड्राइवर के ट्रैक्टर को चलाने के लिए एक रिमोट-कंट्रोल इंटरफेस का आविष्कार किया है।
हैदराबाद. दुनिया में टेक्निक तेजी से बदल रही है। अब इसे ही देखिए! मेनपॉवर और लेबर कॉस्ट को बचाने के लिए तेलंगाना के काकतीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (KITS) के एक प्रोफेसर और उनके स्टूडेंट ने बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप यानी ड्राइवर के ट्रैक्टर को चलाने के लिए एक रिमोट-कंट्रोल इंटरफेस का आविष्कार किया है, इसकी कीमत केवल 20,000 रुपये प्रति ट्रैक्टर है।
तेलंगाना में KITS के प्रोफेसर ने हाई लेबर कॉस्ट वाले ट्रैक्टर को चलाने में कठिनाइयां देखीं और अनहेल्दी क्लाइमेट कंडीशंस में व्हीकल चलाने का जोखिम पाया। इसके बाद उन्होंने बिना ड्राइवर के बिना ट्रैक्टर चलाने के बारे में सोचा। इस प्रकार उन्होंने अपने छात्रों के साथ एक टीम बनाई और केंद्र सरकार के तहत संचालित साइंस एंड टेक्नोलॉजी के फंड्स का उपयोग करके एक रिमोट-कंट्रोल इंटरफ़ेस का आविष्कार किया।
टीम ने ट्रैक्टर के लिए एक माइक्रोकंट्रोलर लगा दिया है। यानी ड्राइवर के बिना क्लच, ब्रेक और एक्सीलरेटर को ऑपरेट करने के लिए तीन एक्टिवेटर लगाए। स्टीयरिंग व्हील को ऑपरेट करने के लिए उन्होंने ट्रैक्टर में एक मोटर भी लगाई। उन्होंने रिमोट इंटरफेरेंस इस तरह से डेवलप किया कि मानव रहित ट्रैक्टर एक मोबाइल फोन के माध्यम से भी चलाया जा सकेगा।
यहां इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) तकनीक का इस्तेमाल कर मैसेज क्लाउड तक पहुंचेगा, वहां से इंस्ट्रक्शंस मोबाइल तक पहुंच जाएंगे। KITS टीम ने कहा कि एक किसान अपने घर से या कहीं और से अपने खेत में ट्रैक्टर चला सकता है। टीम ने बताया कि उन्होंने 45 एचपी के ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया, जो सफलतापूर्वक चल रहा है।
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