कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, कन्नड़ लोगों को प्राइवेट जॉब में मिलेगा 100% आरक्षण

कर्नाटक में कन्नड़ लोगों को सरकार ने प्राइवेट जॉब में भी 100 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कैबिनेट मीटिंग में इसके विधेयक को मंजूरी दे दी है। 

Yatish Srivastava | Published : Jul 17, 2024 7:36 AM IST / Updated: Jul 17 2024, 01:19 PM IST

बेंगलुरु (कर्नाटक)। कर्नाटक में कन्नड़ लोगों के लिए खुशखबरी है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने स्थानीय कन्नड़ लोगों को प्राइवेट जॉब में भी 100 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया है। सरकार ने कन्नड़ लोगों को आगे बढ़ाने के लिए ये फैसला लिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लेने के साथ इसके विधेयक को मंजूरी दे दी है। मंत्रीमंडल में कहा गया है कि इस विधेयक में निजी कंपनियों में मैनेजमेंट के क्षेत्र में 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है।

कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने स्थानीय लोगों को तोहफा दे दिया है। प्रदेश में अब प्राइवेट फर्म में ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों पर कन्नड़ लोगों की भर्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए किसी भी निजी भर्ती प्रक्रिया में कन्नल लोगों को 100 प्रतिशत आरक्षण देना अनिवार्य होगा। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इससे संबंधी विधेयक पास कर दिया है।  

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मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंत्री मंडल में निर्णय लेने के बाद अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर ट्वीट कर ये जानकारी दे दी है। उन्होंने लिखा है कि कल हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड पदों पर 100 फीसदी कन्नड़ लोगों की भर्तियां की जाएंगी। 

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कन्नड़ लोगों का विकास ही प्राथमिकता
सीएम ने कहा कि प्रदेश में कई बार कन्नड़ लोगों को अपना घर छोड़कर दूर नौकरी करने के लिए जाना पड़ता है। ऐसे में यदि प्राइवेट जॉब में भी कन्नड़ स्थानीय लोगों को रिजर्वेशन मिलगा तो उनकी स्थिति में सुधार आएगा। रोजगार विधेयक 2024 गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा।

कंपनियों ने की मनमानी तो लगेगा जुर्माना
स्थानीय कन्नड़ लोगों को जॉब में रिजर्वेशन ऐसे ही नहीं मिल जाएगा। इसमें ये भी शर्त है कि उम्मीदवार के पास कन्नड़ भाषा के साथ माध्यमिक विद्यालय का प्रमाण पत्र नहीं है तो उसे ‘नोडल एजेंसी’ की ओर से  कन्नड़ भाषा में परीक्षा पास करनी होगी। इसके बाद ही उसे आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। अगर कोई भी नियोक्ता, प्रतिष्ठान के प्रबंधक सरकार के इस विधेयक को नहीं मानता है तो उसके खिलाफ 10 हजार से 25 हजार रुपये तक के जुर्माने का भी सख्य नियम है। जुर्माना लगाने के बाद भी नियमों की अनदेखी की जाती है तो प्रतिदिन उसपर 100 रुपये चार्ज लगाया जाएगा। 

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