कर्नाटक के एक अस्पताल में समय से पहले जन्मी बच्ची के स्थान पर एक मृत शिशु लड़के को सौंपने का आरोप लगा। दंपत्ति ने अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की तैयारी की है। अस्पताल ने DNA टेस्ट का आश्वासन दिया है और जांच कमेटी गठित की है।
नई दिल्ली। कर्नाटक के कोप्पल जिले के एक अस्पताल में उस वक्त हंगामा हो गया, जब एक दंपत्ति को समय से पहले जन्मी बच्ची के स्थान पर एक मृत नवजात शिशु लड़का सौंप दिया गया। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब दंपत्ति ने दावा किया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें पहले बच्ची के जन्म की सूचना दी थी।
7 महीने में ही हुई थी मां की डिलेवरी
24 वर्षीय महिला ने 25 सितंबर को 7 महीने की गर्भावस्था में एक बच्चे को जन्म दिया था। दंपत्ति ने बताया कि अस्पताल के कर्मचारी नवजात शिशु को लगातार लड़की बताते रहे और डाक्यूमेंट्स में भी उसकी पहचान लड़की के रूप में ही की गई। हालांकि, उन्हें नवजात का चेहरा ठीक से दिखाया ही नहीं गया। बच्ची का कम वजन होने के कारण उसे नवजात शिशु देखभाल इकाई में रखा गया था।
बेटी पैदा होने की दी खबर और सौंपा मृत लड़का
बाद में दंपत्ति को एक मृत नवजात शिशु सौंप दिया गया, जिसे अस्पताल ने लड़की के रूप में पहचाना तो वे हैरान रह गए। दंपत्ति ने दावा किया कि जब उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में बात की तो डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी टालमटोल करने लगे। अस्पताल प्रशासन के अनुसार बर्थ रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड में शिशु को लड़का बताया गया था, जबकि के-शीट (जिसमें अस्पताल के सभी मरीजों का डिटेल होता है) में उसे लड़की बताया गया था, जिससे यह भ्रम की स्थिति पैदा हुई। दंपत्ति ने कहा है कि वे इस गड़बड़ी को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराएंगे।
हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने दिया DNA टेस्ट कराने का आदेश
जिला अस्पताल के प्रभारी निदेशक डॉ. वेणुगोपाल ने कहा कि माता-पिता की मांग को ध्यान में रखते हुए DNA टेस्ट कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला सर्जन की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति मामले की जांच करेगी और दो दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इससे पहले भी बच्चों की अदला-बदली का हो चुका है खेला
यह पहली बार नहीं है जब कोप्पल में मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल ने नवजात लड़कियों की मौत और कथित तौर पर बच्चों की अदला-बदली को लेकर विवाद खड़ा किया है। अस्पताल की अयोग्यता की जांच के लिए गठित जांच समिति के खिलाफ पक्षपात की भी शिकायतें मिली हैं, क्योंकि समिति के सभी सदस्य उसी हॉस्पिटल से थे, जिसकी जांच की जा रही थी।
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