SIR के खिलाफ सड़कों पर उतरीं ममता बनर्जी, बीजेपी बोली- ये जमात की रैली

Published : Nov 04, 2025, 04:37 PM IST
mamata banerjee

सार

Mamata Banerjee Rally in Kolkata: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ मार्च निकाला। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर 'साइलेंट रिगिंग' कर रहे हैं। 

West Bengal SIR Protest: पश्चिम बंगाल में SIR (Special Intensive Revision) का दूसरा फेज शुरू होते ही सियासी पारा चढ़ गया है। कोलकाता की सड़कों पर मंगलवार को जबरदस्त हलचल देखने को मिली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सड़कों पर उतर आईं। हाथ में तिरंगा झंडा और हजारों समर्थकों के बीच उन्होंने वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। टीएमसी का आरोप है कि ये पूरी प्रक्रिया एक 'साइलेंट रिगिंग' है, जो भाजपा की मदद से चुनाव आयोग करवा रहा है ताकि वोटर लिस्ट से विपक्षी वोट हटाए जा सकें।

कहां से कहां तक निकली ममता बनर्जी की रैली?

ममता बनर्जी की अगुवाई में ये मार्च रेड रोड पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा से शुरू हुआ और जोरा संको ठाकुरबाड़ी (रवींद्रनाथ टैगोर का घर) तक पहुंचा। करीब 3.8 किलोमीटर लंबी ये पदयात्रा पूरे शहर के बीचोंबीच निकली। रास्ते भर टीएमसी के झंडे, स्लोगन और सेव डेमोक्रेसी के पोस्टर नजर आए। ममता दी अपनी सफेद साड़ी और चप्पलों में आगे-आगे चलती रहीं, बीच-बीच में लोगों का अभिवादन भी किया। उनके पीछे टीएमसी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी और कई मंत्री भी नजर आए।

ये लोकतंत्र नहीं, जमात की रैली- बीजेपी

भाजपा ने ममता की इस रैली को पूरी तरह राजनीति से प्रेरित बताया। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इसे 'जमात की रैली' बताया और कहा कि ये भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने भी निशाना साधते हुए कहा, 'अगर ममता जी को कोई शिकायत है तो वो सुप्रीम कोर्ट जाएं। बंगाल में पूरी तरह अराजकता है। राज्य की जनसंख्या में बदलाव लाया जा रहा है। ममता बनर्जी रोहिंग्या को राज्य में बुला रही हैं और उन्हें वोटर लिस्ट में जोड़ना चाहती हैं।'

SIR क्या है?

SIR (Special Intensive Revision) का मतलब वोटर लिस्ट का ऑन-ग्राउंड वेरिफिकेशन है। मतलब कौन जिंदा है, कौन दूसरे राज्य चला गया या किसका नाम दो बार दर्ज है, ये सब बूथ-लेवल ऑफिसर जाकर चेक करते हैं। पिछली बार ऐसा रिवीजन करीब 20 साल पहले हुआ था। अब इसे फिर से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है, जिसमें बंगाल भी शामिल है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि इस बार सेलेक्टिव तरीके से वोटर लिस्ट से नाम काटे जा रहे हैं, खासकर उन समुदायों के जिनका झुकाव विपक्ष की ओर है।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला

बिहार में जब इसका पहला फेज चला था, तब 68 लाख से ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए थे, जिसके बाद विपक्ष ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने फिलहाल SIR प्रक्रिया को रोकने से इनकार किया, लेकिन कुछ बदलावों के साथ आगे बढ़ाने की अनुमति दी।

इसे भी पढ़ें- 'राहुल-तेजस्वी को डूबकर मर जाना चाहिए' SIR को लेकर Giriraj Singh का महागठबंधन पर बड़ा हमला

इसे भी पढ़ें- SIR: 2026 में चुनाव वाले राज्यों बंगाल-तमिलनाडु में SIR, लेकिन असम में नहीं; क्या है वजह?

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

मानवता का ये Video होश उड़ा देगा, 7 फीट के सांप को मुंह से सांस देकर किया जिंदा
Positive Story: हर जनवरी महीने की पूरी कमाई दान कर देता है ये चायवाला-आखिर क्यों और किसे?