बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की खौफनाक कहानी अब बड़े स्क्रीन पर दिखेगी। दर्दनाक घटना की याद दिलाने वाली फिल्म 'नफीसा' का पोस्टर लॉन्च कर दिया गया है। कुमार नीरज फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं।
नई दिल्ली। बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की खौफनाक कहानी अब बड़े स्क्रीन पर दिखेगी। दर्दनाक घटना की याद दिलाने वाली फिल्म 'नफीसा' का पोस्टर लॉन्च कर दिया गया है। कुमार नीरज फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। उन्होंने जब इस घटना को अखबार में पढ़ा था। तभी उनके मन में आया कि इस विषय पर फिल्म बननी चाहिए। पीड़ितों से मिलने, उनके दर्द को महससू करने और रिसर्च करने के बाद फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में उन्हें कई साल लग गए। उस समय झंझावातों से गुजरी पीड़ितों के दर्द को उन्होंने एक धागे में पिरोया और अब उसे रूपहले पर्दे पर उतारने की तैयारी है। फिल्म का पोस्टर रिलीज होते ही वायरल भी हो गया।
फिल्म में बदले हैं किरदारों के नाम
उनका कहना है कि फिल्म में किरदारों के नाम बदले गए हैं। पर फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है। फिल्म में अभिनय कर रहे कलाकारों का मेकअप नहीं कराया गया है। पूरी फिल्म में खूबसूरती के बजाए कड़वी सच्चाई दिखाने की कोशिश की गई है। हालांकि सेंसर में दिक्क्तों का सामना करना पड़ा। कई दृश्यों को पर कैंची चली। पर फिल्म में सत्य पूरी ईमानदारी से पेश किया गया है।
क्या है मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड ?
दिल दहला देने वाले इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब वर्ष 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई की एक टीम ने एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का सर्वेक्षण किया और जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंपी। दरअसल, यही वह संस्था थी। जिसके द्वारा मुजफ्फरपुर में बालिका गृह का संचालन किया जा रहा था। ब्रजेश ठाकुर एनजीओ का सर्वेसर्वा था। रिपोर्ट में ढेर सारी दिक्कतें खुलकर सामने आईं। लड़कियों ने यौन उत्पीड़न और टार्चर करने की ऐसी कहानी बयां की, जिसे सुनकर हर कोई हैरान था। इस मामले में हंगामा मच गया। महिला थाने में केस दर्ज किया गया। पर उस एफआईआर में मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर का नाम नदारद था। बाकि एनजीओ की महिला कर्मियों और संचालकों को यौन उत्पीड़न और पाक्सो एक्ट के तहत आरोपी बनाया गया था। फिर पुलिस की जांच में ठाकुर को भी आरोपी बनाया गया। केस दर्ज होने के बाद सभी 46 लड़कियों को दूसरे जिलों के शेल्टर होम में भेज दिया गया। जांच में पूरे कांड की सच्चाई परत दर परत खुलती गई।
कुक से लेकर गेटकीपर तक ने किया रेप
यह भी सामने आया कि लड़कियों को नशे की सुई देकर दुष्कर्म किया जाता रहा। सभी बच्चियों ने अपने बयान में दिल दहला देने वाली बातें बताईं। उनके साथ मारपीट और प्रताड़ना आम थी। राज्य सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी और उसके अगले ही दिन सीबीआई एक्शन में आ गई। जांच एजेंसी ने पटना स्थित अपने ही थाने में केस दर्ज कर लिया। 10 महिलाओं समेत 21 लोगों को आरोपी बनाया गया। यह महिलाएं लड़कियों के साथ हो रही हैवानियत पर पर्दा डालती रहीं और उनका मुंह बंद कराने के लिए टार्चर भी करती रहीं। शेल्टर होम में काम करने वाले रसोइया से लेकर गेटकीपर तक पर रेप के आरोप लगे। फिर सीबीआई ने सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।