झूठे दावे करते हैं पतंजलि के विज्ञापन, सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को किया तलब

पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। उन्हें दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश होना है।

दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पतं​जलि के विज्ञापनों द्वारा झूठे और भ्रामक दावे किये जाने के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को तलब किया गया है। इन्हें दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि पतंजलि के विज्ञापनों द्वारा जो दावे किये जाते हैं वे हकीकत में खरे नहीं उतरते हैं। इन विज्ञापनों के कारण आमजन भ्रम में फंसते हैं। इसी कारण कोई ने कई विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

विज्ञापनों पर रोक के बावजूद प्रदर्शन

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा 27 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई के दौरान पतंजलि के उन विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई थी। जो झूठे दावे करते नजर आ रहे थे। इसके बावजूद पतंजलि द्वारा उन विज्ञापनों का प्रदर्शन जारी रखा गया। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की शुरुआत की गई है। इस मामले में कंपनी के संस्थापक बाबा रामदेव और एमडी बालकृष्ण आचार्य को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में पेश होने की चेतावनी दी है।

विज्ञापनों में किये गए बड़े दावे

आपको बतादें कि पतंजलि द्वारा कुछ विज्ञापनों में बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने के दावे किये गए हैं। जिसमें एक मधुमेह और अस्थमा की दवाई भी है। जो पूर्ण रूप से शुगर और सांस से संबंधी समस्या को खत्म करने के दावे करते हैं। इसी के साथ कोविड को जड़ से खत्म करने की दवा भी है। इस मामले में कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को ही ऐसे भ्रामक विज्ञापन का प्रदर्शन नहीं करने के आदेश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद विज्ञापनों का प्रदर्शन जारी है। इस मामले में ही कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण आचार्य को तलब किया है।

देश को बनाया जा रहा बेवकूफ

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकर लगाई थी, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा पतंजलि के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। कोर्ट का कहना था कि पूरे देश को बेवकूफ बनाया जा रहा है फिर भी सरकार ने आंखें मूंद रखी है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। इस मामले में कोर्ट ने सरकार से भी सवाल किया है कि आखिर अब तक इस संबंध में क्यों कार्रवाई नहीं की गई।

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भारतीय चिकित्सा संघ ने लगाई थी याचिका

आपको बतादें कि इस मामले में भारतीय चिकित्सा संघ आईएमए द्वारा याचिका दायर की गई थी। जिसमें एलोपैथी जैसी हाईटेक चिकित्सा प्रणाली पर भी लांछन लगाने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि झूठी अफवाहें फैलाकर लोगों के मन में कोरोना वैक्सीन के प्रति भी झिझक पैदा की गई थी।

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