Modi govt ordinance: पोस्टिंग और ट्रांसफर पर कांग्रेस ने उखाड़े गड़े मुर्दे, अजय माकन बोले-केजरीवाल जी अराजकता क्यों फैला रहे हो?

दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार में चली जा रही तनातनी एक नए मोड़ पर आ गई है। कांग्रेस के सीनियर लीडर अजय माकन का tweet केजरीवाल की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है।

Amitabh Budholiya | Published : May 23, 2023 8:36 AM IST / Updated: May 23 2023, 03:21 PM IST

नई दिल्ली. दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार में चली जा रही तनातनी एक नए मोड़ पर आ गई है। केजरीवाल को उम्मीद है कि कांग्रेस जुलाई में शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ उसका समर्थन करेगी, लेकिन स्थितियां कुछ अलग बनती दिख रही हैं। कांग्रेस के सीनियर लीडर अजय माकन का tweet केजरीवाल की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है।

दिल्ली की ट्र्रांसफर पॉलिसी, Modi govt ordinance केजरीवाल का विरोध और कांग्रेस की भूमिका

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कांग्रेस ने मोदी सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल की याचिका खारिज करने के संकेत दिए हैं। इसे केंद्र में भाजपा सरकार के रुख के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। अजय माकन ने ट्विटर पर कहा कि  जादी के बाद से किसी भी प्रधान मंत्री ने निर्वाचित दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पावर की परमिशन नहीं दी है।

अजय माकन के इस tweet से राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर एक अध्यादेश को लेकर केंद्र के खिलाफ लड़ाई में ग्रैंड ओल्ड पार्टी यानी कांग्रेस का आम आदमी पार्टी को समर्थन मिलना खटाई में पड़ गया है। यानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है।

दिल्ली में ट्रांसफर विवाद पर अजय माकन का tweet

अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल का समर्थन करना और अध्यादेश का विरोध करना यकीनन पंडित नेहरू, भीमराव अंबेडकर, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव के ज्ञान और फैसलों के खिलाफ जा रहा है।

माकन ने आगे जोड़ा-"महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है-अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना हंगामे के अपनी भूमिका निभा सकते थे, तो केजरीवाल अब अराजकता क्यों फैला रहे हैं? क्या यह महज राजनीतिक दिखावा है? दुर्भाग्य से, यह दिल्ली है, जो इस अशांति का खामियाजा भुगत रही है। इस उथल-पुथल में दिल्ली सबसे ज्यादा पीड़ित है।"

दिल्ली के बॉस को लेकर झगड़ा

19 मई को मोदी सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जो सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले को रद्द करता है, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास ही अधिकारियों के तबादले का अधिकार है। केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा और दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (DANICS) कैडर के अधिकारियों के ट्रांसफर और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण(National Capital Civil Service Authority) बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है। 

यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर निर्वाचित दिल्ली सरकार को सौंपे जाने के कुछ दिनों बाद आया है। अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित करने की आवश्यकता है और इसके लिए केंद्र को संसद के दोनों सदनों में इसके पारित होने के लिए एक विधेयक लाना होगा।

अजय माकन ने केजरीवाल को क्यों घेरा?

अजय माकन ने ऐसे कई उदाहरण गिनाए, जब केजरीवाल ने कांग्रेस को समर्थन नहीं किया था। माकन ने कहा कि केंद्र सरकार से हमारे प्रिय राजीव (गांधी) जी से भारत रत्न वापस लेने का अनुरोध करना। इसके अलावा, केजरीवाल ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह भाजपा का समर्थन किया।

केजरीवाल ने विभिन्न आरोपों पर CJI दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने के कदम के दौरान भाजपा का समर्थन किया। यह तब हुआ जब CJI ने न्यायमूर्ति लोया की मौत के आसपास की संदिग्ध परिस्थितियों की जांच के लिए एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

विशेष रूप से, केजरीवाल विवादास्पद किसान विरोधी कानूनों को लागू करने वाले पहले थे। उनकी पार्टी ने राज्यसभा के उपसभापति के लिए विपक्ष के उम्मीदवार का भी विरोध किया और इसके बजाय भाजपा द्वारा प्रायोजित उम्मीदवार का समर्थन किया।

गुजरात, गोवा, हिमाचल, असम, उत्तराखंड में भाजपा के लिए केजरीवाल का समर्थन और हाल के कर्नाटक चुनावों में, जहां उन्होंने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए, यह भी सवाल उठता है कि केवल उन्हीं राज्यों में क्यों जहां कांग्रेस प्राइमरी विपक्ष या सत्ताधारी पार्टी है ?

दिल्ली ट्रांसफर पॉलिस पर कांग्रेस का बयान

आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वो राज्य इकाइयों और समान विचारधारा वाले दलों से परामर्श करने के बाद ही कोई अंतिम फैसला लेगी।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को कहा था, "पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही अनावश्यक टकराव, राजनीतिक विच-हंट और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किसी भी राजनीतिक दल द्वारा झूठ पर आधारित अभियानों को माफ नहीं करती है।"

 

 

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