उत्तराखंड के किसानों के लिए खुशखबरी: पॉलीहाउस बनेंगे इनकम के बड़े स्रोत, धामी सरकार ने मंजूर किए 304 करोड़ रुपए

उत्तराखंड राज्य में पॉलीहाउस किसानों (Polyhouse Farmers) की आय का बड़ा जरिया बनने वाला है। प्रदेश की धामी सरकार (Dhami Government) ने पॉलीहाउस के लिए 304 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है। यह कदम प्रदेश के किसानों की बेहतरी के लिए उठाया गया है।

Manoj Kumar | Published : Apr 19, 2023 3:00 PM IST

Polyhouse Uttarakhand. उत्तराखंड राज्य में पॉलीहाउस किसानों (Polyhouse Farmers) की आय का बड़ा जरिया बनने वाला है। प्रदेश की धामी सरकार (Dhami Government) ने पॉलीहाउस के लिए 304 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी है। यह कदम प्रदेश के किसानों की बेहतरी के लिए उठाया गया है। साथ ही राज्य सरकार ने कहा कि प्रदेश के एक लाख किसानों को इसका प्रत्यक्ष फायदा मिलेगा। सरकार ने 70 प्रतिशत तक अनुदान देने का भी ऐलान किया है।

पॉलीहाउस के लिए उठाया बड़ा कदम

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए राज्य की धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत राज्य में पॉलीहाउस के माध्यम से एक लाख से अधिक किसानों को रोजगार प्रदान करने की योजना तैयार की गई है। कुछ दिन पहले हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में पॉलीहाउस के लिए धामी सरकार ने 304 करोड़ की योजना को मंजूरी प्रदान कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में किस तरह रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं, इसके लिए मुख्यमंत्री धामी लगातार गंभीरता से काम कर रहे हैं। तमाम सार्वजनिक मंचों से भी वे ये प्रतिबद्धता दर्शा चुके हैं कि हिमाचल की तर्ज पर राज्य के पर्वतीय जिलों में भी खेती-बागवानी को रोजगार का जरिया बनाया जाए। अब इसी कड़ी में राज्य सरकार ने पॉली हाउस को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

छोटे पॉलीहाउस पर रहेगा फोकस

इस योजना के अन्तर्गत राज्य में क्लस्टर आधारित छोटे पॉलीहाउस (Naturally Ventilated) में सब्जी एवं फूलों की खेती की योजना का निर्णय लिया गया है। नाबार्ड की योजना के तहत क्लस्टर आधारित 100 वर्गमीटर आकार के 17648 पॉलीहाउस स्थापना के लिए 304 करोड़ रुपये राज्य कैबिनेट द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। इसमें किसानों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसके अन्तर्गत राज्य के लगभग 01 लाख कृषकों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से स्वरोजगार के साधन प्राप्त होने के साथ-साथ उनकी आय में भी वृद्धि हो सकेगी। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक स्तर मे सुधार होगा तथा पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले पलायन में भी कमी आएगी। साथ ही सब्जियों के उत्पादन में 15 प्रतिशत व फूलों के उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी।

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