बेंगलुरु में कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन का होगा आयोजन, अभिनेत्री पूजा गांधी ने किया समर्थन

कर्नाटक रक्षणा वेदिके ने सोमवार (1 जुलाई) को बेंगलुरु सहित राज्य भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। इस प्रदर्शन का मकसद एक ऐसे कानून को लागू करने की मांग करने की है।

sourav kumar | Published : Jul 1, 2024 5:05 AM IST / Updated: Jul 01 2024, 10:42 AM IST

Karnataka employment Protest: कर्नाटक रक्षणा वेदिके ने सोमवार (1 जुलाई) को बेंगलुरु सहित राज्य भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। इस प्रदर्शन का मकसद एक ऐसे कानून को लागू करने की मांग करने की है, जिसे केंद्र और राज्य सरकार के पदों के साथ-साथ निजी क्षेत्र में कन्नडिगाओं के लिए नौकरियां सुनिश्चित करना है। कन्नड़ में नौकरी के अवसर प्रदान करने की मांग को लेकर किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करावे के अध्यक्ष टीए नारायणगौड़ा करेंगे। इस मौके पर बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन होगा। इसके साथ ही करावे की ओर से अलग-अलग जिलों के मुख्यालयों में विरोध पत्र सौंपा जाएगा।

बेंगलुरु में होने वाले विरोध प्रदर्शन से पहले नारायणगौड़ा ने कहा, "यह शर्म की बात है कि हम उस बिंदु पर पहुंच गए हैं. जहां हमें रोजगार के लिए विरोध करने की जरूरत है। कर्नाटक के लोग शांतिप्रिय और अन्य लोग इसका फायदा उठा रहे हैं। अब पहले से कहीं अधिक कन्नड़ लोगों को एकजुट होना चाहिए। अन्य राज्यों के लोग कन्नड़ लोगों के अधिकारों का आनंद ले रहे हैं, जिससे कन्नड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं। अगर हम अभी कार्रवाई नहीं करते हैं , इसके गंभीर परिणाम होंगे।" 

इस पर कन्नड़ साहित्य परिषद (KSP) ने कन्नड़ लोगों के लिए नौकरी की प्राथमिकता की वकालत करते हुए विरोध के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है। अभिनेत्री पूजा गांधी और अभिनेता नेनापिराली प्रेम इस मुद्दे का समर्थन करने वाले कई कलाकारों में से हैं।

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कर्नाटक के लोगों ने दिया बयान

अभिनेत्री पूजा गांधी ने कन्नड़ लोगों के हक को लेकर किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन पर कहा कि कर्नाटक में नौकरियों पर कन्नड़ लोगों को पहला अधिकार और प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मैं इस संघर्ष में भाग लूंगी। वहीं नेनापिराली प्रेम ने सरोजिनी महिषी रिपोर्ट को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। इसके अलावा साहित्य, संगीत और लोक कथाओं सहित सांस्कृतिक क्षेत्र ने इस आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया।

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