हिमाचल में 'टॉयलेट टैक्स' का बवाल, फजीहत होने पर सरकार का यूटर्न

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा शौचालय की संख्या के आधार पर टैक्स लगाने के आदेश से बवाल मच गया है. विपक्ष और सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद सरकार ने आदेश वापस ले लिया है.

rohan salodkar | Published : Oct 5, 2024 5:02 AM IST

शिमला: विधानसभा चुनाव के दौरान मुफ्त गारंटी योजनाओं को लागू करने के बाद कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने शौचालय की संख्या के आधार पर टैक्स लगाने संबंधी एक आदेश जारी किया है, जो एक बड़े विवाद का कारण बन गया है. सरकार के आदेश का भाजपा और सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक उड़ाया जा रहा है. 

इसके बाद सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया है. हिमाचल सरकार पर फिलहाल 96000 करोड़ रुपये का कर्ज है. आर्थिक तंगी के कारण राज्य के इतिहास में पहली बार हाल ही में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का भुगतान देरी से हुआ. मंत्रियों के वेतन भुगतान को भी दो महीने के लिए टाल दिया गया था. इसके बाद आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए जारी किया गया आदेश राज्य सरकार के लिए भारी शर्मिंदगी का सबब बन गया है.

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विवादित आदेश: 'राज्य के हर घर, दुकान/कंपनी को हर टॉयलेट सीट के लिए 25 रुपये मासिक शुल्क देना होगा. अगर ज़्यादा टॉयलेट सीट हैं तो हर सीट के लिए 25 रुपये के हिसाब से सभी सीटों के लिए अलग-अलग शुल्क देना होगा' ऐसा आदेश हाल ही में सरकार ने जारी किया था. इससे पहले राज्य में भाजपा के कार्यकाल में पानी और सीवरेज का शुल्क नहीं था. लेकिन कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू के सत्ता में आने के बाद पहली बार अक्टूबर से मासिक “पानी और सीवरेज शुल्क” लगाने का फैसला किया गया और 21 सितंबर को इसकी अधिसूचना जारी की गई. 

इसमें कहा गया था, 'अगर सरकार से पानी का कनेक्शन और सीवरेज का कनेक्शन लिया है तो मासिक पानी के बिल का 30% सीवरेज शुल्क देना होगा. लेकिन अगर खुद का पानी का कनेक्शन है और सिर्फ सीवरेज कनेक्शन चाहिए तो हर टॉयलेट सीट के लिए 25 रुपये शुल्क देना होगा'. इसे केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और भाजपा नेताओं ने निशाने पर लिया और ट्वीट किया, 'अविश्वसनीय.. नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान में शौचालय बनवाए हैं. लेकिन हिमाचल की कांग्रेस सरकार टॉयलेट टैक्स लगा रही है'. 

 

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हिमाचल जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकारचंद शर्मा ने कहा, 'अधिसूचना जारी होने के बाद हम फाइल लेकर डिप्टी सीएम के पास गए थे. लेकिन उन्होंने कहा कि हर टॉयलेट सीट पर शुल्क लगाना सही नहीं है. इसलिए हमने अधिसूचना रद्द कर दी और टॉयलेट सीट शुल्क रद्द कर दिया है'. मुख्यमंत्री सुख ने भी भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘राज्य में टॉयलेट टैक्स नहीं है. सिर्फ 100 रुपये पानी का बिल आता है. वह भी अनिवार्य नहीं है. वैकल्पिक है’।

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