उत्तराखंड सरकार द्वारा बिना अप्रूवल के 47,758 करोड़ रुपये खर्च किए जाने संबंधी CAG रिपोर्ट पर धामी सरकार ने कही यह बात

राज्य सरकार ने कहा कि मीडिया में यह खबर प्रकाशित की गई है कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने बिना मंजूरी के लिए 47,758 करोड़ का बजट खर्च कर दिया है। 

Uttarakhand Govt on CAG Report: भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक यानी CAG की ऑडिट रिपोर्ट में उत्तराखंड सरकार द्वारा बिना अप्रूवल के 47,758 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स पर राज्य सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि यह खर्च रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मिले राज्यों को अधिकार के अंतर्गत खर्च किए गए हैं ताकि कैश फ्लो की कमी न रहे। बाद में नियमानुसार इस खर्च को राज्य विधानसभा में अप्रूव करा लिया जाता है।

क्या कहा राज्य सरकार ने?

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राज्य सरकार ने कहा कि मीडिया में यह खबर प्रकाशित की गई है कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने बिना मंजूरी के लिए 47,758 करोड़ का बजट खर्च कर दिया है। दरअसल, यह खर्च राज्य के डब्ल्यूएमए (WMA) और खाद्य एवं कृषि विभाग की पूंजीगत मदों में खर्च किए गए हैं। राज्य सरकार ने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा राज्य / केंद्र द्वारा कैश फ़्लो को सुचारु बनाए रखे जाने के लिए वेस एंड मीन्स एडवांसस (Ways and Means Advances) की सुविधा दे रखी है। यह कैश या फंड की कमी को देखते हुए एक शॉर्ट टर्म के लिए आरबीआई की सुविधा है। डब्ल्यूएमए अमाउंट को आने वाले दिनों में राज्य के कंसोलिडेटेड फंड में डिपॉजिट करा दिया जाता है। राज्य सरकार ने बताया कि प्रश्नगत 47758.16 करोड़ रुपये के व्यय में अर्थोपाय अग्रिम (Ways and Means Advances) के सापेक्ष 27814.23 करोड़ का अंकित मूल्य है जो कुल धन का लगभग 58.24 प्रतिशत है। सरकार ने बताया कि दरअसल, सीएजी रिपोर्ट में समायोजन को शामिल नहीं किया गया है इसलिए अमाउंट अधिक दर्शा रहा। दिनांक 06 सितंबर 2023 को प्रस्तुत अनुपूरक बजट में भी इस वर्ष 4500.00 करोड़ रुपये का प्रोविजन किया गया है। स्पष्टत: अर्थोपाय के सापेक्ष अनुदान व्ययाधिकार "एकाउंटिंग कन्वेंशन" से संबंधित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गई है जबकि राज्य सरकार द्वारा नेट बेसिस पर बजट प्रोविजन चल रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के दायरे में आ गया है।

प्रश्नगत 47758.16 करोड़ रुपये के खर्चे में खाद्य विभाग मद में 18803.23 करोड़ रुपये का अंकित मूल्य है जो कुल ब्याज का लगभग 39.37 प्रतिशत है। यह भी "एकाउंटिंग कन्वेंशन" से संबंधित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गई है जबकि राज्य सरकार के नेट बेसिस पर बजट का अनुमान लगाया जा रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के सिद्धांतों द्वारा निर्धारित किया गया है।

कृषि एवं उद्यान की सूची में लगभग 47758.16 करोड़ रुपये का व्यय शामिल है जो कुल आवेदन का लगभग 0.38 प्रतिशत है। यह भी "एकाउंटिंग कन्वेंशन" से संबंधित है। महालेखाकार द्वारा सकल आधार पर गणना की गई है जबकि राज्य सरकार के नेट बेसिस पर बजट का अनुमान लगाया जा रहा है जो अब महालेखाकार के परामर्श के सिद्धांतों द्वारा निर्धारित किया गया है।

प्रश्नगत 47758.16 करोड़ रुपये के खर्चे में अन्य इकाइयों से संबंधित 955.96 करोड़ रुपये का आख्यान अंकित है जो कुल अमाउंट का लगभग 2.00 प्रतिशत है। लेखा मिलान विभाग एवं महालेखाकार कार्यालय मध्य में होता है। शिक्षा, चिकित्सा एवं पुलिस विभाग जैसे कतिपय विभाग द्वारा महालेखाकार में कुछ वर्षों में व्यय भारित मदों में चित्रित किया गया है जबकि संबंधित विभाग द्वारा इस आधार पर खंडन किया गया है कि उनके विभाग में भारित मदों के सापेक्ष व्यय नहीं हुआ है। इस संबंध में प्लेयर्स को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि महालेखाकार के आंकड़ों से मिलान जारी रखें ताकि इस तरह की रचनाएं न बनें।

अन्य राज्यों में भी महालेखाकारों द्वारा इस प्रकार के वास्तुशिल्प प्रकाश बनाए गए हैं। प्रश्नगत बोल्ट का विखंडन विधान सभा / पीएसी द्वारा किया जाता है। स्वयं महालेखाकार द्वारा इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में इस प्रकार का कोई भी अभिलेख प्रकाश में नहीं है। स्पष्टत: यह मुख्यतः "एककाउंटिंग कन्वेंशन" और लोकतंत्र के मिलान की कड़ी है। राज्य सरकार विधान सभा द्वारा बजट की सीमा का ही हिसाब-किताब किया जाता है। कोषागार (आईएफएमएस) से अधिक आवेदन का अधिकार नहीं हो सकता है।

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