G20 ने भारत की अध्यक्षता में कई बड़ी पहलों और उपलब्धियों को किया हासिल
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भारत ने एनुअल G20 विदेश मंत्रियों की मीटिंग में पूरी तरह से बातचीत और स्वीकृत G20 विदेश मंत्रियों के आउटकम डॉक्यूमेंट्स और चेयरमैन समरी (एफएमएम ओडीसीएस) पेश करने में लीडिंग पोजिशन हासिल किया। इस व्यापक दस्तावेज़ में सदस्य देशों के लिए प्रासंगिक महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला गया है जिसमें बहुपक्षवाद को मजबूत करना, आतंकवाद का मुकाबला करना और वैश्विक स्वास्थ्य चिंताओं को संबोधित करना शामिल है।
भारत ने जी20 की अध्यक्षता में 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट' के उद्घाटन की मेजबानी की। दो दिनों तक चलने वाले दस सत्रों में 125 देशों की भागीदारी रही। इस समिट में विकासशील दुनिया की चिंताओं, विचारों, चुनौतियों और प्राथमिकताओं को आवाज देने के लिए एक मंच प्रदान किया।
भारत की अध्यक्षता के दौरान कृषि मुख्य वैज्ञानिकों (एमएसीएस) की जी20 मीटिंग ने बाजरा और अन्य प्राचीन अनाज अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महर्षि) के शुभारंभ का समर्थन किया। यह रिसर्च स्कॉलर्स और संस्थानों को जोड़ने, इंफार्मेशन साझा करने को प्रोत्साहित करने और कैपेसिटी बिल्डिंग को व्यवस्थित करने के लिए सिस्टम स्थापित करने का एक प्रयास है।
G20 EMPOWER ग्रुप की आरंभिक मीटिंग जी20 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित की गई। महिलाओं के आर्थिक प्रतिनिधित्व के सशक्तिकरण और प्रगति के लिए G20 गठबंधन (EMPOWER) G20 व्यापार जगत के लीडर्स और सरकारों का एक गठबंधन है। इसका उद्देश्य प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं के नेतृत्व और सशक्तिकरण में तेजी लाना है।
जी20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की मीटिंग के बाद, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) बनाने पर सहमति बनी। साथ ही, 'डिजिटल अर्थव्यवस्था में साइबर सुरक्षा' और डिजिटल कौशल को लेकर भी सहमति बनी।
भारत की G20 की अध्यक्षता में G20-चीफ साइंस एडवाइजर्स राउंड टेबल कांफ्रेंस की शुरूआत हुई। इसमें 'बेहतर रोग नियंत्रण और महामारी की तैयारी के लिए एक स्वास्थ्य में अवसर;' जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। इस मीटिंग में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देना, ग्लोबल प्रयासों में तालमेल बिठाना, साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एस एंड टी) में डायवर्सिटी, इक्वेलिटी के लिए एक इको-सिस्टम डेवलप करने की पहल हुई।
जी20 में भारत की अध्यक्षता में बहुपक्षवाद में सुधार और सुदृढ़ीकरण के प्रयास में यूएन सिक्योरिटी कौंसिल और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) सहित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के सुधारों पर डिबेट को भी पुनर्जीवित किया। भारत की अध्यक्षता के दौरान एमडीबी को मजबूत करने और 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में इसकी दक्षता में सुधार के लिए सिफारिशें प्रदान करने के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की स्थापना की गई थी।
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