भारत-पाक युद्ध में गोली खाने वाले हीरो को फिर करना पड़ा संघर्ष, 52 साल बाद सीएम सोरेन दिला रहे न्याय

झारखंड के चाईबासा में रहने वाले वीर योद्धा बालमुचु जिन्होंने भारत पाक युद्ध में अपना पराक्रम दिखाया वे सालों से सरकार की घोषणा को पूरा होने के लिए संघर्ष करते रहे। 52 साल तक संघर्ष करने के बाद अब जाकर प्रदेश मुखिया सीएम सोरेन ने उनकी बात सुनी।

चाईबासा (chaibasa news). भारत पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के खतरनाक युद्ध में अपना पराक्रम दिखाने वाले चाईबासा निवासी भूतपूर्व सैनिक पोदाना बालमुचु को 52 साल तक संघर्ष करने के बाद अब जाकर सीएम सोरेन सरकार में न्याय मिलने जा रहा है। दरअसल 1971 में युद्ध के बाद सरकार ने उन्हें 5 एकड़ जमीन खेती के लिए देने का वादा किया था जो कि अब तक पूरा नहीं हो सका था पर लग रहा है कि उनका संघर्ष समाप्त हो जाएगा।

80 साल की उम्र में न्याय के लिए धरने पर बैठे

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1971 में हुए भारत पाक युद्ध में देश की सेवा की इसके बाद अपनी सर्विस के दौरान 1975 में गोली लगने के चलते स्वैच्छिक रिटायरमेंट लिया। युद्ध में भाग लेने के चलते सरकार द्वारा सेना के जवानों को 5 एकड़ जमीन देने का वादा किया गया पर सालों बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। इसके चलते रिटायर्ड आर्मी जवान बालमुचु अपने परिवार सहित 1 मार्च से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ। 9 दिनों तक धरने पर बैठने के बाद जब किसी ने ध्यान नहीं दिया तो सीएम सोरेन से मुलाकात करने के लिए 140 किमी की पैदल यात्रा और उनसे मुलाकात की। उनकी व्यथा सुनकर सीएम ने तुरंत प्रदेश के अधिकारियों को निर्देश देकर जल्द से जल्द जमीन आवंटन करने को कहा।

जिले के डीसी ने शुरू की जमीन आवंटन की प्रक्रिया

सीएम से आश्वासन मिलने के के बाद पूर्व सैनिक जिले के उपायुक्त अनन्या से मुलाकात की। उपायुक्त ने बताया कि मामले में जांच कर पता किया जा रहा है कि उन्हें अभी तक जमीन का हस्तांतरण क्यो नहीं किया गया है। इसके साथ ही पीड़ित द्वारा एसडीओ में जमा कराए गए डॉक्यूमेंट को वेरीफाई करने के साथ ही पता लगाया जा रहा है कि जमीन कहां पर अलॉट की गई है। इसके साथ ही अलॉटेड जमीन पर कोई समस्या है तो उसकी जगह नई भूमि देखकर उसे ट्रांसफर किया जाएगा। डीसी ने भरोसा दिलाया है कि परिवार को 21 दिनों में जमीन का हस्तांतरण कर दिया जाएगा।

भूतपूर्व सैनिक को न्याय मिलते देख उनके साथ सीएम से मुलाकात करने गए लोगों के अलावा परिवारजनों ने खुशी व्यक्त की है। वहीं सैनिक बालमुचू ने कहा कि जमीन मिलने के बाद उनके परिवार का भरण पोषण आसानी से होता रहे इसके लिए 80 वर्ष की उम्र में संघर्ष किया। उन्होंने आगे कहा कि फिर भी यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो वो दिल्ली स्थित जंतर मंतर में जाकर धऱना देंगे।

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