रांची: झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता और डेटा साइंटिस्ट गुंजन कुमार को गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सम्मानित किया। यह सम्मान दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में दिया गया। इस पुरस्कार का कारण था 'प्रतिबिंब' ऐप, जिसकी मदद से साइबर अपराधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। ऐप के लॉन्च होने के बाद यह झारखंड पुलिस का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। उल्लेखनीय है कि सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने साइबर अपराधियों को ट्रैक करने के लिए प्रतिबिंब ऐप तैयार कराया था।
दूसरे राज्यों के फ्रॉड का भी हो रहा खुलासा
प्रतिबिंब ऐप के लॉन्च होने के बाद न केवल झारखंड के साइबर अपराधी पकड़े जा रहे हैं, बल्कि दूसरे राज्यों के फ्रॉड केस भी सामने आ रहे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण कुछ महीने पहले गिरिडीह में अपराधियों का पकड़ा जाना है, जिसमें पता चला कि साइबर अपराधियों ने रांची में एक बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी से ठगी की थी। यह ऐप अन्य राज्यों की पुलिस को भी उपलब्ध कराया गया है, ताकि वे भी अपराधियों को पकड़ सकें।
कैसे काम करता है प्रतिबिंब ऐप?
साइबर अपराध में इस्तेमाल हो रहे नंबर कैसे पकड़े जाते हैं?
इस ऐप को लॉन्च करते समय सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया था कि जिन मोबाइल नंबरों के खिलाफ शिकायत आती है, उनकी जानकारी आईफॉरसी को दी जाती है। झारखंड पुलिस इन नंबरों का डेटा बेस तैयार करती है और संबंधित जिलों के एसपी और सर्विस प्रोवाइडर को जानकारी दी जाती है, ताकि इन नंबरों का फिर से दुरुपयोग न हो सके और अपराधियों पर समय रहते कार्रवाई हो सके।
ये भी पढ़ें
अधिकारी ने उतारे मंत्री जी के जूते, पायजामा भी किया ठीक-देखें वायरल वीडियो
किसानों को खुश करने जा रही झारखंड सरकार, अन्नदाता को मिलेगा 150 करोड़ का गिफ्ट